Wednesday, October 3, 2018

हिन्दी कक्षा –12वीं


छात्रोपयोगी-सहायकसामग्री
 कक्षा 12वीं 
विषय- हिन्दी 
(सत्र 2018)



पाठों का सूत्रात्मक विवरण (संक्षिप्त परिचय)
(आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 के पाठों का सार, उद्देश्य, संक्षिप्त परिचय )
1 कविता: आत्म परिचय (हरिवंश राय बच्चन)      
कविता सार :-
1.स्वयं को जानना दुनिया को जानने से अधिक कठिन भी हैं और आवश्यक भी।
2. व्यक्ति के लिए समाज से निरपेक्ष एवं उदासीन रहना न तो संभव है, न ही उचित है। दुनिया अपने व्यंग्य बाणों, शासन – प्रशासन से चाहे कितना कष्ट दे, पर दुनिया से कष्ट कर व्यक्ति अपनी पहचान नहीं बना सकता । परिवेश ही व्यक्ति को बनाता हैं, ढालता है।
3.इस कविता मे कवि ने समाज एवं परिवेश से प्रेम एवं संघर्ष का संबंध निभाते हुए जीवन मे सामंजस्य स्थापित करने की बात की हैं।
4.छायावादोतर गीति काव्य में प्रीति-कलह का यह विरोधाभास दिखाई देता हैं। व्यक्ति और समाज का संबंध इसी प्रकार प्रेम और संघर्ष का है जिसमें कवि आलोचना की परवाह न करते हुए संतुलन स्थापित करते हुए चलता हैं।
5.नादान वही है हाय, जहां पर दाना पंक्ति के माध्यम से कवि सत्य की खोज के लिए , अहंकार को त्याग कर नई सोच अपनाने पर जोर दे रहा हैं।
(ख)कविता:- दिन जल्दी जल्दी ढलता है।
प्रस्तुत कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन कहते हैं कि समय बीतते जाने का एहसास हमें लक्ष्य-प्राप्ति के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। मार्ग पर चलने वाला राही यह सोचकर अपनी मंजिल की ओर कदम बढाता है कि कहीं रास्ते में ही रात न हो जाए। पक्षियों को भी दिन बीतने के साथ यह एहसास होता है कि उनके बच्चे कुछ पाने की आशा में घोंसले से झांक रहे होंगे। यह सोचकर उनके पंखो में गति आ जाती है कि वे जल्दी से अपने बच्चों से मिल सकें।
कविता में आशावादी स्वर है। गंतव्य का स्मरण पथिक के कदमों में स्फूर्ति भर देता है। आशा की किरण जीवन की जडता को समाप्त कर देती है। वैयक्तिक अनुभूति का कवि होने पर भी बच्चन जी की रचनाएं किसी सकारात्मक सोच तक ले जाने का प्रयास है।
2. पतंग  (आलोक धन्वा)
कविता सार :- पतंग कविता में कवि आलोक धन्वा बच्चों की बाल सुलभ इच्छाओं और उमंगों तथा प्रकृति के साथ उनके रागात्मक संबंधों का अत्यंत सुंदर चित्रण किया है । भादो मास गुजर जाने के बाद सर्द ऋतु का आगमन होता है । चारों ओर प्रकाश फैल जाता है सुबह के सूर्य का प्रकाश लाल चमकीला हो जाता है । सर्द ऋतु के आगमन से उत्साह एवं उमंग का माहौल बन जाता है ।
सर्दऋतु का यह चमकीला इशारा बच्चों को पतंग उठाने के लिए बुलाता है और पतंग उडाने के लिए मंद मंद वायु चला कर आकाश को इस योग्य बनाता है कि दुनिया की सबसे हल्की रंगीन कागज और बांस की सबसे पतली कमानी से बनी पतंगें आकाश की ऊंचाइयों में उड सके । बच्चों के पांवों की कोमलता से आकर्षित होकर मानों धरती उनके पास आती है । अन्यथा उनके पांव धरती पर पडते ही नहीं ऐसा लगता है । मानों वे हवा में उडते जा रहे हैं । पतंग उडाते समय बच्चे रोमांचित होते हैं । एक संगीतमय ताल पर उन्हे उनके शरीर हवा में लहराते हैं । वे किसी भी खतरे से बेखबर होते हैं । बाल मनोविज्ञान बाल क्रियाकलापों एवं बाल सुलभ इच्छाओं का सुंदर बिंबों के माध्यम से अंकन किया गया है ।
                    3. कविता के बहाने एवं बात सीधी थी पर (कुवंर नारायण)
कविता सार :- कुवँर नारायण की रचनाओं में संयम, परिष्कार एवं साफ सुथरापन है। यथार्थ का कलात्मक संवेदनापूर्ण चित्रण उनकी रचनाओं की विशेषता है। उनकी रचनाएँ जीवन को समझने की जिज्ञासा है यथार्थ-प्राप्ति की घोषणा नहीं । व्यक्तिक एवं सामाजिक तनाव व्यंजनापूर्ण ढंग से उनकी रचनाओं में स्थान पाता है । प्रस्तुत कविता में कवित्व शक्ति का वर्णन है । कविता चिड़िया की उडान की तरह कल्पना की उडान है लेकिन चिड़िया के उडने की अपनी सीमा है जबकि कवि अपनी कल्पना के पंख पसार कर देश और काल की सीमाओं से परे उड़ जाता है। फूल कविता लिखने की प्रेरणा तो बनता है लेकिन कविता तो बिना मुरझाए हर युग में अपनी खुशबू बिखेरती रहती है । कविता बच्चों के खेल के समान है और समय और काल की परवाह किए बिना अपनी कल्पना के पंख पसार कर ऊडने की कला बच्चे ही जानते हैं ।
(ख) बात सीधी थी पर :
प्रस्तुत कविता में भाव के अनुरूप भाषा के महत्त्व पर बल दिया गया है । कवि कहते हैं कि एक बार वह सीधे और सरल कथ्य की अभिव्यक्ति में भी भाषा के चक्कर में ऐसा फंफ गया कि उसे कथ्य ही बदला बदला सा लगा। जिस प्रकार जोर –जबरदस्ती से कील की चूडी मर जाती है। उसी प्रकार बात का मूल भाव भी खत्म हो जाता है। भाव भाव के अभाव में अभिव्यक्ति बेकार हो जाती है।
अंत में भाव ने एक शरारती बच्चे के समान कवि से पूछा कि तूने क्या अभी तक भाषा का स्वाभाविक प्रयोग नहीं सीखा । इस कविता में भाषा की सम्प्रेषण शक्ति का महत्त्व समझाया गया है ।
कृत्रिमता एवं भाषा की अनावश्यक पच्चीकारी से भाषा की पकड कमजोर हो जाती है ।
4. कैमरे में बंद अपाहिज  (रघुबीर सहाय)
कविता सार :- इस कविता में कवि ने एक शारीरिक चुनौती झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा के साथ साथ आज की मीडिया के दोगले चरित्र को भी उजागर किया है । हमें किसी की पीड़ा को मन से महसूस करते हुए संवेदनशीलता के साथ पेश आना चाहिए लेकिन कारोबार और स्वार्थ के दबाव तले आज मीडिया अति संवेदनहीन होकर अपनी भूमिका तलाश रही है । जिस पर लोगों को संवेदनशील बनाने का उत्तरदायित्व है आज वहीं संवेदनहीनता की भाषा और कलेवर लिए है ।
5- सहर्ष स्वीकारा है  (गजानन माधव मुक्तिबोध)
कविता सार:- कविता में जीवन के सुख-दुख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को समान रूप से स्वीकार करने की बात कही गई है। स्नेह की प्रगाढता अपनी परम सीमा पर पहुंचकर वियोग की कल्पना मात्र से त्रस्त हो उठती है। प्रेमालंबन अर्थात प्रियजन पर यह भावपूर्ण निर्भरता, कवि के मन में विस्मृति की चाह उत्पन्न करती है। वह अपने प्रिय को पूर्णतया भूल जाना चाहता है। वस्तुत: विस्मृति की चाह भी स्मृति का ही रूप है। यह विस्मृति भी स्मृतियों के धुंधलके से अछूती नहीं है। प्रिय की याद किसी-न-किसी रूप में बनी रहती है। परंतु कवि दोनों ही परिस्थितियों को उस परम सत्ता की परछाई मानता है। यह विस्मृति भी स्मृतियों के धुंधलके से अछूति नहीं है। प्रिय की याद किसी न किसी रूप में बनी ही रहती है। भावना की स्मृति विचार बनकर विश्व की गुत्थियां सुलझाने में मदद करती है। स्नेह में थोडी निस्संगता भी जरूरी है। अति किसी चीज की अच्छी नहीं। वह यहां कोई भी हो सकता है दिवंगत मां प्रिय या अन्य । कबीर के राम की तरह, वडर्सवर्थ की मातृमना प्रकृति की तरह यह प्रेम सर्वव्यापी होना चाहता है।
6. उषा (शमशेर बहादुर सिंह)
कविता सार :-उषा कविता में कवि सूर्योदय के समय आकाश में बदलते रंगों के जादू के बिम्बों को अत्यंत आकर्षक रूप में उठाता है । सूर्योदय के ठीक पूर्व आसमान नीले शंख की तरह बहुत नीला नजर आता है । प्रातःकालीन नभ की तुलना काली सिल से की गई है जिसे अभी अभी केसर पीस कर धो दिया गया है । कभी कवि को राख से लीपे हुए चौके के समान लगता है , जो अभी गीला पडा है। नीले गगन में सूर्य की पहली किरण ऐसी दिखाई देती है मानो कोई सुंदरी नीले जल में नहा रही हो और उसका गौरा शरीर जल की लहरों के साथ झिलमिला रहा हो। प्रातःकालीन परिवर्तनशील सौंदर्य का दृश्य बिम्ब, प्राकृतिक परिवर्तनों को मानवीय क्रियाकलापों के माध्यम से व्यक्त किया गया है । यथार्थ जीवन से चुने गए उपमानों जैसे :- राख से लीपा हुआ चौका, काली सिल, नीला शंख,स्लेट,लाल खडिया चाक आदि का प्रयोग । प्रसाद की कृति बीति विभावरी जाग री, से तुलना की जा सकती है ।
7.  बादल राग (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’)
कविता सार:-  निराला की यह कविता अनामिका में छहः खंडों में प्रकाशित है । यहाँ उसका छठा खंड लिया गया है । आम आदमी के दुःख से त्रस्त कवि परिवर्तन के लिए क्रांति रूपि बादल को आह्वान करता है । इस कविता में बादल क्रांति /विप्लव का दूत या प्रतीक रूप में उभरा है । कवि विप्लव के बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि जनमन की आकांक्षाओं से भरी तेरी नाव समीर रूपी सागर पर तैर रही है । अस्थिर सुख पर दुख की छाया तैरती दिखाई देती है । संसार के लोगों के हृदय दग्ध हैं । उन लोगों पर निर्दय की क्रांतिमाया फैली हुई है । बादलों के गर्जन से पृथ्वी के गर्भ में सोए हुए अंकुर बाहर निकल आते हैं अर्थात‍‍‍ शोषित वर्ग सावधान हो जाता है और आशा भरी दृष्टि से क्रांति की ओर देखने लगता है । उनकी आशा क्रांति पर ही टिकी है ।बादलों की गर्जना और मुसलाधार वर्षा में बडे बडे पर्वत वा वृक्ष घबरा उठते हैं , वे दिल थाम कर रह जाते हैं । क्रांति को तो छोटे छोटे लोग बुलाते हैं । जिस प्रकार छोटे पौधे हाथ हिलाकर वर्षा को बुलाते से प्रतीत होते हैं । शोषित वर्ग की समस्त सम्स्याओं के निराकरण के लिए निराला जी इस कविता में क्रांति का सर्थन करते हैं जिससे यह रचना मार्कसवाद के काफी नजदीक है ।
8. लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप (तुलसीदास)
काव्य सार :- श्रीराम जी को समर्पित ग्रंथ श्रीरामचरितमानस उत्तर भारत में बडे भक्ति भाव से पढ़ा जाता है उसी महान ग्रंथ से यह अंश उद्घृत है।रावण पुत्र मेघनाद द्वारा शक्तिबाण से मुर्च्छित लक्ष्मण को देखकर राम व्याकुल हो जाते हैं । सुषेन वेद्य ने संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान को हिमालय पर्वत पर भेजा। आधी रात व्यतीत होने पर जब हनुमान नहीं आए, तब राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उठाकर हृदय से लगा लिया और साधारण मनुष्य की भांति विलाप करने लगे। हे ! भाई, तुम मुझे दुखी नहीं देख सकते थे। तुम्हारा स्वभाव सदा से ही कोमल था। मेरे साथ वन में सर्दी, गर्मी और विभिन्न प्रकार की विपरीत परिस्थितियों को भी सहा। जैसे पंख बिना पक्षी, मणि बिना सर्प और सूंड बिना श्रेष्ठ हाथी दीन हीन हो जाते हैं, हे ! भाई यदि मैं जीवित रहता हूँ तो मेरी दशा भी वैसी ही हो जायेगी। मैं अपनी पत्नी के लिए अपने प्रिय भाई को खोकर कौन सा मुहँ लेकर अयोध्या जाउंगा। इस बदनामी को भले ही सह लेता कि राम कायर है और अपनी पत्नी को खो बैठा । स्त्री की हानि विशेष क्षति नहीं हैं , परंतु भाई को खोना अपूरणीय क्षति है ।
रामचरितमानस के लंका खंड” से गृहीत लक्ष्मण को शक्तिबाण लगने का प्रसंग़ कवि की मार्मिक स्थलों की पहचान का एक श्रेष्ठ नमूना है । भाई के शोक में विगलित राम का विलाप धीरे-धीरे प्रलाप में बदल जाता है जिसमें लक्ष्मण के प्रति राम के अंतर में छिपे कई कोण सहसा अनावृत हो जाते हैं । यह प्रसंग ईश्वर राम में मानव सुलभ गुणों का समंवय कर देता है। हनुमान का संजीवनी लेकर आ जाना करुण रस में वीर रस का उदय हो जाने के समान है। 
विनय पत्रिका एक अन्य मह्त्त्वपूर्ण तुलसीदासकृत काव्य है। जिसके अंतर्गत कवितावली का प्रसंग लिया गया है। तुलसी का विविध विषमताओं से ग्रस्त कलिकाल तुलसी का युगीन यथार्थ है, जिसमें वे कृपालु प्रभु राम व राम राज्य का स्वप्न रचते हैं । युग और उसमें अपने जीवन का ना सिर्फ उन्हे गहरा बोध है बल्कि उसकी अभिव्यक्ति में भी वे अपने समकालीन कवियों से आगे हैं। यहाँ पाठ में प्रस्तुत “कवितावली” के छंद इसके प्रमाण है । पहले छंद स्वरूप हैं---- “ किसवी किसान....................” में उन्होने दिखलाया है कि संसार के अच्छे बुरे समस्त लीला प्रपंचों का आधार ----“ पेट की आग” का गहन यथार्थ है; जिसका समाधान वे राम की भक्ति में देखते हैं । दरिद्रजन की व्यथा दूर करनेके लिए राम रूपी घंश्याम का आह्वान किया गया है ।पेट की आग बुझाने के लिए राम रूपी वर्षा का जल अनिवार्य है । इसकेलिए अनैतिक कार्य करने की आवश्यक्ता नहीं है । इस प्रकार, उनकी राम भक्ति पेट की आग बुझाने वाली यानि जीवन के यथार्थ संकटों का समाधान करने वाली है, ना कि केवल आध्यात्मिक मुक्ति देने वाली । गरीबी की पीडा रावण के समान दुखदायी हो गई है ।
तीसरे छंद “धूत कहो अवधूत कहो .......” में भक्ति की गहनता और सघनता में उपजे भक्त आत्मविश्वास का हूदय के सजीव चित्रण हैं। जिससे समाज में व्याप्त जाति तिरस्कार का साहस पैदा होता है । इस प्रकार भक्ति की रचनात्मक भूमिका का संकेत यहाँ है , जो आज के भेदभाव मूलकयुग में अधिक प्रासंगिक है ।
9. रूबाइयाँ (फिराक गोरखपुरी)
कविता/रुबाइ का सार :-उर्दू शायरी की रिवायत के विपरीत फिराक गोरखपुरी के साहित्य में लोक जीवन एवं प्रकृति की झलक मिलती है । सामाजिक संवेदना वैयक्तिक अनुभूति बनकर उनकी रचनाओं में व्यक्त हुई है । जीवन का कठोर यथार्थ उनकी रचनाओं में स्थान पाता है । उन्होने लोकभाषा के प्रतीकों का प्रयोग किया है । लाक्षणिक प्रयोग उनकी भाषा की विशेषता है । फिराक की रूबाइयों में घरेलु हिंदी का रूप दिखता है ।
रूबाई उर्दू और फारसी का एक छंद या लेखन शैली है, जिसमें चार पंक्तियाँ होती हैं । इसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुक (काफिया) मिलाया जाता है तथा तीसरी पंक्ति स्वच्छंद होती है । जैसे प्रयोग उनकी भाषा की सशक्ता के नमूने के तौर पर देखे जा सकते हैं ।
सार रुबाइयाँ :- रक्षाबंधन एक मीठा बंधन है। रक्षा बंधन के कच्चे धागों पर बिजली के लच्छे हैं । सावन में रक्षा बंधन आता है। सावन का जो संबंध झीनी घटा से है, घटा का जो संबंध बिजली से है वही संबंध भाई का बहन से होता है ।
गजल :- इस कविता में फिराक की एक गजल भी शामिल है । रूबाइयों की तरह ही फिराक की गजलों में भी हिंदी समाज और उर्दू शायरी की परंपरा भरपूर है । इसका अद्भुत नमूना है यह गजल । यह गजल कुछ इस तरह बोलती है कि जिसमें दर्द भी है , एक शायर की हसरत भी है और साथ ही यह काव्य- शिल्प की वह ऊंचाई जो गजल की विशेषता मानी जाती है ।
10. छोटा मेरा खेत (उमा शंकर जोशी)
कविता का सार-  उमा शंकर जोशी एक गुजराती कवि होने के साथ साथ संस्कृत के भी विद्वान हैं । उन्होने गुजराती कविता को प्रकृति से जोडा है । आम आदमी के जीवन की झलक उनकी रचनाओं में मिलती है । खेती के रूपक द्वारा काव्य रचना- प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है । काव्य कृति की रचना बीजवपन से लेकर पौधों के पुष्पित होने के विभिन्न चरणों से गुजरती है । अंतर केवल इतना है कि कवि-कर्म की फसल कालजयी , शाश्वत होती है । उसका रस शरण अक्षय होता है । कागज का पन्ना, जिस पर रचना शब्दबद्ध होती है, कवि को एक चौकोर खेत की तरह लगता है । इस खेत की किसी अंधड(आशय भावानात्मक आंधी से होगा) के प्रभाव से किसी क्षण एक बीज बोया जाता है । यह बीज रचना विचार और अभिव्यक्ति का हो सकता है । यह मूल रूप कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और प्रक्रिया में स्वयं विगलित हो जाता है । उससे शब्दों के अंकुर निकलते हैं और अंततः कृति एक पूर्ण स्वरूप में उपस्थित होती है ।
(ख) बगुलों के पंख- बगुलों के पंख कविता एक चाक्षुष बिम्ब की कविता है । सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कवियों ने कई युक्तियाँ अपनाई हैं जिसमें से सबसे प्रचलित युक्ति है – सौंदर्य के ब्यौरों के चित्रात्मक वर्णन के साथ अपने मन पर पडने वाले उसके प्रभाव का वर्णन और आत्मगत संयोग की यह युक्ति पाठक को उस मूल सौंदर्य के काफी निकट ले जाती है । जोशी जी की इस रचना में भी ऐसा ही है । कवि कालेबादलों से भरे आकाश में पंक्ति बना कर उडते सफेद बगुलों को देखता है । वे कजरारे बादलों में अटका सा रहा जाता है । वह इस माया से अपने को बचाने की गुहार लगाता है । क्या यह सौंदर्य से बांधने और बिंधने की चरम स्थिति को व्यक्त करने का एक तरीका है । प्रकृति का स्वतंत्र (आलंबनगत) चित्रण आधुनिक कविता की विशेषता है । चित्रात्मकवर्णन द्वारा कवि ने एक ओर काले बादलों पर उडती बगुलों की श्वेत पंक्ति का चित्र अंकित किया है तो दूसरी ओर अप्रतिम दृश्य के हृदय पर पडने वाले प्रभावको चित्रित किया है ।



(गद्य-आरोह भाग-2)
11. भक्तिन (महादेवी वर्मा‌)
पाठ का सार : भक्तिन जिसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था, लेखिका महादेवी वर्मा की सेविका है । बचपन में ही भक्तिन की माँ की मृत्यु हो गई । सौतेली माँ ने पाँच वर्ष की आयु में ही विवाह तथा नौ वर्ष की आयु में गौना कर भक्तिन को ससुराल भेज दिया । ससुराल में भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया ,जिस कारण उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा का सामना करना पडा । सास और जिठानियाँ आराम फरमाती थी और भक्तिन और उसकी नन्ही बेटियाँ घर और खेत का सारा काम करती । भक्तिन का पति भक्तिन को बहुत आदर सम्मान देता था । पति के साथ भाव विचार कर वह अपना अलगौझा कर लेती है । भक्तिन चालाक भी है अलग होते समय उसने असंतोष के भावों को भी प्रकट किया लेकिन वह अंदर से अत्यंत प्रसन्न होती हुई सभी चीजें प्राप्त करने में कामयाब हो गई । जब वह सुख और मेहनत से रहने लगी तो उसके निष्ठुर भाग्य ने आकस्मिक ही उसके पति को छीन लिया । भक्तिन के सिर पर दुखों का पहाड टूट पडा । ससुराल वाले भक्तिन की दूसरी शादी करके वहाँ से निकालने की जुगत बैठाने लगे जिसका भक्तिन ने खुल कर विरोध किया और उनकी छाती पर ही बसे रहने का फरमान सुना दिया । भक्तिन ने अपनी बेटी का विवाह कर दिया लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद विधवा हो गई । जेठोते भक्तिन की  बेटी का विवाह अपने साले के साथ करना चाहते थे इसके लिए भी भक्तिन व उसकी बेटी उनकी चाल का शिकार हो गई । गले पडे दामाद को घर जमाई बनाना भक्तिन का दुर्भाग्य ही था जिसके कारण भक्तिन को अनेक कष्ट हुए क्योंकि जमाई कुछ भी काम काज में हाथ ना बटाता था बल्कि उसे महाजन के कर्ज के दंड स्वरूप धूप में खडा रहना पडा जिस अपमान के चलते वह घर छोड कर लेखिका के पास काम की तलाश में पहुंचती है । भक्तिन लेखिका के चुल्हे चौके , लेखन, अध्यापन और तर्क शास्त्र के आधार पर सहयोग देने का साहस भी जुटा पाती थी । युद्ध के समय वह गाँव चलने का आग्रह करती है पाई पाई जोड़्कर एक सौ पाँच रूपये लेखिका को देकर वह गाँव देख आने के वादे के साथ जाती है लेकिन फिर कभी लौट नहीं पाई । लेखिका उसके संस्मरण रूप में उसे याद कर सच्ची श्रद्धांजलि देती है ।
12. बाजार दर्शन (जैनेंद्र कुमार)
सारांश : बाजार दर्शन पाठ में बाजारवाद और उपभोक्तावाद के साथ साथ अर्थनीति एवं दर्शन से संबंधित प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास किया गया है । बाजार का जादू तभी असर करता है जब मन खाली हो । बाजार के जादू को रोकने का उपाय यह है कि बाजार जाते समय मन खाली न हो ,मन में लक्ष्य भरा हो । बाजार की असली सार्थकता जरूरत के समय काम आना है । बाजार को वही लाभ दे सकता है जो वास्तव में अपनी आवश्यक्ताओं के अनुसार बाजार का उपयोग करता है । जो लोग अपने पैसों के घमंड में पर्चेजिंग पावर को दिखाने के लिए खरीददारी करते हैं वे वास्तव में आनंद नहीं दुख ही प्रदान करती हैं । इस पाठ में लेखक मन को नियंत्रण में करने और वास्तविकजीवन के जीने पर बल देता है । भगत जी का उदाहरण हमारे लिए मह्त्तवपूर्ण है तभी हम इस जगत में जीवन का सही अर्थ जान पायेंगे ।
13. काले मेघा पानी दे (धर्मवीर भारती)
सारांश :-काले मेघा पानी दे निबंध, लोकजीवन के विश्वास और विज्ञान के तर्क पर आधारित है । जब भीष्ण गर्मी के कारण व्याकुल लोग वर्षा कराने के लिए पूजा-पाठ और कथा विधान कर थक जाते हैं तब वर्षा कराने के लिए अंतिम उपाय के रूप में इंदर सेना निकलती है । इंदर सेना ,नंग-धडंग बच्चों की टोली है जो कीचड़ में लथपथ होकर गली मुहल्ले में पानी मांगने निकलती है । लोग अपने घरों की छतों खिडकियों से इन्दर सेना पर पानी डालते हैं । लोगों की मान्यता है कि इन्द्र, बादलों के स्वामी और वर्षा के देवता है । इंद्र की सेना पर पानी डालने से इंद्र भगवान पानी बरसायेंगे । लेखक का तर्क है कि जब पानी की इतनी कमी है तो लोग मुश्किल से जमा किए पानी को क्यों बर्बाद कर रहे हैं ? आर्य समाजी विचारधारा वाला लेखक इसे अंधविश्वास मानता है । इसके बिल्कुल उल्ट लेखक की जीजी इसे त्याग और दान से जोड कर देखती है । त्याग के बिना दान नहीं हो सकता । प्रस्तुत निबंध में लेखक ने भ्रष्टाचार की समस्या को उठाते हुए कहा है कि जीवन में कुछ पाने के लिए त्याग जरूरी है ।जो लोग त्याग और दान को नहीं मानते ,वे ही भ्रष्टाचार में लिप्त होकर देश और समाज को लूटते हैं । जीजी की अस्था, भावनात्मक सच्चाई को पुष्ट करती है और तर्क केवल वैज्ञानिक तथ्य को सत्य मानता है । जहाँ तर्क,यथार्थ के कठोर धरातल पर सच्चाई को परखता है तो वहीं आस्था, अनहोनी  बात को भी स्वीकारता है । भारत की स्वतंत्रता के पचास साल बाद भी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और स्वार्थ की भावना को देखकर लेखक दुखी है । सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ गरीबों तक क्यों नहीं पहुंच रही ? काले मेघा के दल उमड रहे हैं पर आज भी गरीब की गगरी फूटी हुई क्यों है ? लेखक इसी प्रश्न के साथ मौन हो जाता है ।
14. पहलवान की ढोलक (फणीश्वरनाथ रेणु)
सार : आंचलिक कथाकार फ़णीश्वरनाथ रेणु की कहानी पहलवान की ढोलक में कहानी के मुख्य पात्र लुट्टन के माता-पिता का देहांत उसके बचपन में ही हो गया था । अनाथ लुट्टन को उसकी विधवा सास ने पाल पोसकर बडा किया । उसकी सास को गाँव वाले सताने लगे । लोगों से अपमान का बदला लेने के लिए कुश्ती के दाँव-पेंच सीखकर कसरत करके लुट्टन पहलवान बन गया । एक बार लुट्टन श्याम नगर मेले में गया जहां ढोल की आवाज और कुश्ती के दाँव-पेंच देखकर उसने जोश में आकर नामी पहलवान चाँद सिहँ को चुनौती दे दी । ढोल की आवाज से प्रेरणा पाकर लुट्टन ने दाँव लगाकर चाँद सिहँ को पट्ककर हरा दिया और राज पहलवान बन गया । उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई । पंद्रह वर्षों तक अजेय बना रहा । उसके दो पुत्र थे । लुट्टन ने दाँव पेंच अपने दोनों बेटो को भी सीखा दिए थे । राजा की मृत्यु के बाद नए राजकुमार ने लुट्टन का पूरा राज खर्च देख कर उसे दरवार से बाहर का रास्ता दिखा दिया । अब लुट्टन गाँव में ही अपने बेटों के साथ रहने लगा और गाँब के बच्चों को दाव पेच सीखाने लगा । महामारी के दिनों में भी लुट्टन सुबह शाम ढोल नगाडे‌ के साथ कुश्ती का अभ्यास करता था । यह ढोल को ही अपना गुरु मानता था । महामारी और अकाल से लड़ने का साहस वह इसी ढोल से लिया करता था ।  पहलवान ढोल बजा कर लोगों को बीमारी से लडने की हिम्मत बंधा रहा था जिस दिन पहलवान के दोनों लडके मृत्यु के शिकार हुए उस दिन भी वह ढोल बजा कर सभी का हौंसला बढा रहा था । इस कहानी में लुट्टन पहलवान की हिम्मत और जिजीविषा का वर्णन हुआ है । इस करुण त्रासदी में लुट्टन कई सवाल छोड़ जाता है कि कला का कोई स्वतंत्र अस्तित्व है या कला केवल व्यवस्था की मोहताज है ।
                          15. चार्ली चैप्लिन और हम सब (विष्णु खरे)
पाठ परिचय-  हास्य फ़िल्मों के महान अभिनेता चार्ली चैप्लिन की जादुई  विशेषताओं का उल्लेख करता है जिसमें उसने करुणा और हास्य में सामंजस्य स्थापित कर फ़िल्मों को सार्वभौमिक रूप प्रदान किया। चार्ली ने कला में बुद्धि की अपेक्षा भावना को महत्त्व दिया है। बचपन के संघर्षों ने चार्ली के जीवन की पृष्ठभूमि तैयार की है। भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र में करूणा का हास्य में परिवर्तन भारतीय परम्परा में नहीं मिलता लेकिन चार्ली एक ऐसा जादूई व्यक्तित्व है जो हर देश, संस्कृति और सभ्यता को अपना सा लगता है। भारतीय जन मानस ने उन्हे मन से स्वीकार किया है। स्वयं पर हँसना चार्ली ने ही सिखाया है। भारतीय सीनेमा के प्रसिद्ध कलाकार राजकपूर को भारतीयकरण कहा जा सकता है। चार्ली की अधिकांश फिल्में मूक हैं इसलिए उन्हे मानवीय होना पडा ।
16 नमक  (रजिया सज्जाद जहीर)
पाठ परिचय- नमककहानी में भारत-पाकिस्तान विभाजन के पश्चात मानचित्र में सीमारेखा खिंच जाती हैजमीन बंट जाती है पर जनता की भावनाएं, उसका लगाव अपने मूल स्थान से बना रहता है भारत में रहने वाली सिख बीवी लाहौर को अपना वतन मानती है और भारतीय कस्टम अधिकारी, ढाका के नारियल पानी को याद्कर उसे सर्वश्रेष्ठ बताता है। दोनो देशों के नागरिकों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद आज भी कायम है। तभी सफ़िया भारत में रहने वाली अपनी मुंहबोली मां, सिख बीवी के लिए लाहौरी नमक लाने के लिए कस्टम और कानून की परवाह नहीं करती।
17 शिरीष के फूल (आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी)
पाठ परिचय-  शिरीष के फ़ूल नामक ललित निबंध में लेखक ने शिरीष के फ़ूल के माध्यम से मनुष्य की अजेय जिजीविषा, धैर्यशीलता और कर्तव्यनिष्ठ बने रहने के मानवीय मूल्य को  स्थापित किया है। शिरीष को अवधूत कहा गया है क्योंकि संन्यासी की भांति वह सुख-दुख की चिंता नहीं करता। गर्मी, लू, वर्षा और आंधी में भी अविचल खड़ा रहता है। निबंधकार ने शिरीष के फ़ूल के सौन्दर्य, महत्त्व और स्वरूप का वर्णन करते हुए विभिन्न सामाजिक विषयों पर रोचक टिप्पणी की है।
18 श्रम विभाजन और जाति प्रथा (डॉ. भीमराव अम्बेदकर)
पाठ परिचय- श्रम-विभाजन और जातिप्रथा नामक पाठ में जाति आधारित श्रम विभाजन को अस्वाभाविक और मानवता विरोधी बताया गया है। यह सामाजिक भेदभाव को बढ़ाता है। प्रथा आधारित श्रम विभाजन में व्यक्ति की रुचि को महत्त्व नहीं दिया जाता।  आदर्श समाज की नींव समानता ,स्वतंत्रता पर टिकी रहती है। लेखक ने आदर्श समाज के निर्माण में लोकतंत्रात्मक विशेषताओं को बनाए रखने पर बल दिया है ।

पूरक पुस्तक वितान भाग -2

पाठ 1सिल्वर वैडिंग मनोहर श्याम जोशी
पाठ का सार- सिल्वर वेडिंगकहानी की रचना मनोहर श्याम जोशी ने की है |  इस पाठ के माध्यम से पीढ़ी के अंतराल का मार्मिक चित्रण किया गया है | आधुनिकता के दौर में, यशोधर बाबूपरंपरागत मूल्यों को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं| उनका उसूलपसंद होना दफ्तर एवम घर के लोगों के लिए सरदर्द बन गया था| यशोधर बाबू को दिल्ली में अपने पाँव जमाने में किशनदा ने मदद की थी, अतः वे उनके आदर्श बन गए|
दफ्तर में विवाह की पच्चीसवीं सालगिरह के दिन ,दफ्तर के कर्मचारी, मेनन और चड्ढा उनसे जलपान के लिए पैसे माँगते हैं | जो वे बड़े अनमने ढंग से देते हैं क्योंकि उन्हें फिजूलखर्ची पसंद नहीं | यशोधर बाबू के तीन बेटे हैं| बड़ा बेटा भूषण, विज्ञापन कम्पनी में काम करता है | दूसरा बेटा आई. ए. एस. की तैयारी कर रहा है और तीसरा छात्रवृति के साथ अमेरिका जा चुका है | बेटी भी डाक्टरी की पढ़ाईं के लिए अमेरिका जाना चाहती है, वह विवाह हेतु किसी भी वर को पसंद नहीं करती | यशोधर बाबूबच्चों की तरक्की से खुश हैं किंतु परंपरागत संस्कारों के कारण वे दुविधा में हैं | उनकी पत्नी ने स्वयं को बच्चों की सोच के साथ ढाल लिया है | आधुनिक न होते हुए भी, बच्चों के ज़ोर देने पर वे अधिक माडर्न  बन गई है|
बच्चे घर पर सिल्वर वेडिंग की पार्टी रखते हैं, जो यशोधर बाबू के उसूलों के खिलाफ था | उनका बेटा उन्हें ड्रेसिंग गाउन भेंट करता है तथा सुबह दूध लेने जाते समय उसे ही पहन कर जाने को कहता है, जो उन्हें अच्छा नहीं लगता | बेटे का ज़रूरत से ज़्यादा तनख्वाह पाना, तनख्वाह की रकम स्वयं खर्च करना, उनसे किसी भी बात पर सलाह न माँगना और दूध लाने का जिम्मा स्वयं न लेकर उन्हें ड्रेसिंग गाउन पहनकर दूध लेने जाने की बात कहना जैसी बातें, यशोधर बाबू को बुरी लगती है | जीवन के इस मोड़ पर वे स्वयं को अपने उसूलों के साथ अकेले पाते हैं |
पाठ 2   जूझ: (आनंद यादव)
पाठ का सार –‘जूझपाठ आनंद यादव द्वारा रचित स्वयं के जीवनसंघर्ष की कहानी है| पढ़ाई पूरी न कर पाने के कारण, उसका मन उसे कचोटता रहता था | दादा ने अपने स्वार्थों के कारण उसकी पढ़ाई छुड़वा दी थी | वह जानता था कि दादा उसे पाठशाला नहीं भेजेंगे | आनंद जीवन में आगे बढ़ना चाहता था | वह जनता था कि खेती से कुछ मिलने वाला नहीं |वह पढ़ेगा-लिखेगा तो बढ़िया-सी नौकरी मिल जाएगी |
      आनंद ने एक योजना बनाई कि वह माँ को लेकर गाँव के प्रतिष्ठित व्यक्ति दत्ता जी राव के पास जाएगा| दत्ता जी राव ने उनकी पूरी बात सुनी और दादा को उनके पास भेजने को कहा | दत्ता जी ने उसे खूब फटकारा, आनंद को भी बुलाया | दादा ने भी कुछ बातें रखीं कि आनंद को खेती के कार्य में मदद करनी होगी| आनंद ने उनकी सभी बातें सहर्ष मान लीं| आनंद की पढ़ाई शुरू हो गई| शुरु में कुछ शरारती बच्चों ने उसे तंग किया किन्तु धीरे-धीरे उसका मन लगने लगा| उसने कक्षा के मानीटर वसंत पाटिल से दोस्ती कर ली जिससे उसे ठीक प्रकार से पढ़ाई करने की प्रेरणा मिली| कई परेशानियों से जूझते हुए आनंद ने शिक्षा का दामन नहीं छोड़ा| मराठी पढ़ाने के लिए श्री सौंदलगेकर आए| उन्होंने आनंद के हृदय में एक गहरी छाप छोड़ी| उसने भी कविताओं में रूचि लेनी प्रारम्भ की| उसने खेतों में काम करते करते कविताएँ कंठस्थ की मास्टर ने उसकी कविता बड़े ध्यान से सुनी| बालक का आत्मविश्वास बढ़ने लगा और उसकी काव्य-प्रतिभा में निखार आने लगा|

पाठ 3  अतीत में दबे पाँव: (ओम थानवी)
पाठ का सार यह ओम थानवी के यात्रा-वृत्तांत और रिपोर्ट का मिला-जुला रूप है|उन्होंने इस पाठ में विश्व के सबसे पुराने और नियोजित शहरों-मुअनजो-दड़ो तथा हड़प्पा का वर्णन किया है | पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मुअनजो-दड़ो ओर पंजाब प्रांत में हड़प्पा नाम के दो नगरों को पुरातत्वविदों ने खुदाई के दौरान खोज निकाला था । मुअनजो-दड़ो ताम्रकाल का सबसे  बड़ा शहर था |मुअनजो-दड़ो अर्थात मुर्दों का टीला । यह नगर मानव निर्मित छोटेछोटे टीलों पर बना था |मुअनजो-दड़ो में प्राचीन और बड़ा बौद्ध स्तूप है | इसकी नगर योजना अद्वितीय है| लेखक ने खंडहर  हो चुके टीलों, स्नानागार, मृद-भांडों, कुओंतालाबों, मकानों व मार्गों का उल्लेख किया है जिनसे शहर की सुंदर नियोजन व्यवस्था का पता चलता है| बस्ती में घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर नहीं खुलते, हर घर में जल निकासी की व्यवस्था है, सभी नालियाँ की ढकी हुई हैं, पक्की ईंटों  का प्रयोग किया गया है|
नगर में चालीस फुट लम्बा ओर पच्चीस फुट चौड़ा एक महाकुंड भी है |इसकी दीवारें ओर तल पक्की ईंटों से बने हैं | कुंड के पास आठ स्नानागार हैं | कुंड में बाहर के अशुद्ध पानी को न आने देने का ध्यान रखा गया | कुंड में पानी की व्यवस्था के लिए कुंआ है | एक विशाल कोठारभी है जिसमें अनाज रखा जाता था | उन्नत खेती के भी निशान दिखते हैं -कपास, गेहूं, जौ, सरसों, बाजरा आदि के प्रमाण मिले हैं|
          सिंधु घाटी सभ्यता में न तो भव्य राजमहल मिलें हैं ओर ही भव्य मंदिर| नरेश के सर पर रखा मुकुट भी छोटा है| मुअनजो-दड़ो सिंधु घाटी का सबसे बड़ा नगर है फिर भी इसमें भव्यता व आडम्बर का अभाव रहा है| उस समय के लोगों ने कला ओर सुरुचि को महत्त्व दिया| नगर-नियोजन, धातु एवं पत्थर की मूर्तियाँ, मृद-भांड ,उन पर चित्रित मानव ओर अन्य आकृतियाँ ,मुहरें, उन पर बारीकी से की गई चित्रकारी| एक पुरातत्त्ववेत्ता के मुताबिक सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो राजपोषित या  धर्मपोषित न होकर समाजपोषित था|
पाठ 4 : डायरी के पन्ने:  ऐन फ्रैंक
पाठ का सार डायरी के पन्नेपाठ में द डायरी ऑफ ए यंग गर्लनामक ऐन फ्रैंक की डायरी  के कुछ अंश दिए गए हैं| ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्लऐन फ्रैंक द्वारा दो साल अज्ञातवास के दरम्यान लिखी गई थी| 1933 में फ्रैंकफर्ट के नगरनिगम चुनाव में हिटलर की नाजी पार्टी जीत गई| तत्पश्चात यहूदी-विरोधी प्रदर्शन बढ़ने लगे| ऐन फ्रैंक का परिवार असुरक्षित महसूस करते हुए नीदरलैंड के एम्सटर्डम शहर में जा बसा |द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत तक 1939 तो सब ठीक था| परंतु 1940 में नीदरलैंड पर जर्मनी का कब्ज़ा हो गया ओर यहूदियों के उत्पीड़न का दौर शुरु हो गया| इन परिस्थितियों के कारण 1942 के जुलाई मास में फ्रैंक परिवारजिसमें माता-पिता,तेरह वर्ष की ऐन ,उसकी बड़ी बहन मार्गोट तथा दूसरा परिवार वानदान परिवार ओर उनका बेटा पीटरतथा इनके साथ एक अन्य व्यक्ति मिस्टर डसेल दो साल तक गुप्त आवास में रहे| गुप्त आवास में इनकी सहायता उन कर्मचारियों ने की जो कभी मिस्टर फ्रैंक के दफ्तर में काम करते थे||‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्लऐन फ्रैंक द्वारा उस दो साल अज्ञातवास के दरम्यान लिखी गई थी|अज्ञातवास उनके पितामिस्टर ऑटो फ्रैंक का दफ्तर ही था| ऐन फ्रैंक को तेरहवें जन्मदिन पर एक डायरी उपहार में मिली थी ओर उसमें उसने अपनी एक गुड़िया-किट्टी को सम्बोधित किया है|
ऐन अज्ञातवास में पूरा दिनपहेलियाँ बुझाती, अंग्रेज़ी व फ्रेंच बोलती, किताबों की समीक्षा करती, राजसी परिवारों की वंशावली देखती, सिनेमा ओर थिएटर की पत्रिका पढ़ती और उनमें से नायक-नायिकाओं के चित्र काटतेबिताती थी| वह मिसेज वानदान की हर कहानी को बार-बार सुनकर बोर हो जाती थी ओर मि. डसेल भी पुरानी बातेंघोड़ों की दौड़, लीक करती नावें, चार बरस की उम्र में तैर सकने वाले बच्चे आदि सुनाते रहते|
उसने युद्ध संबंधी जानकारी भी दी है- कैबिनेट मंत्री मि. बोल्के स्टीन ने लंदन से डच प्रसारण में यह घोषणा की थी कि युद्ध के बाद युद्ध के दौरान लिखी गईं डायरियों का संग्रह किया जाएगा, वायुयानों से तेज़ गोलाबारी, हज़ार गिल्डर के नोट अवैध घोषित किए गए | हिटलर के घायल सैनिकों में हिटलर से हाथ मिलाने का जोश , अराजकता का माहौल- कार, साईकिल की चोरी, घरों की खिड़की तोड़ कर चोरी, गलियों में लगी बिजली से चलने वाली घड़ियाँ, सार्वजनिक टेलीफोन चोरी कर लिए गए|
ऐन फ्रैंक ने नारी स्वतंत्रता को महत्त्व दिया,उसने नारी को एक सिपाही के बराबर सम्मान देने की बात कही|  एक तेरह वर्षीय किशोरी के मन की बेचैनी को भी व्यक्त किया- जैसे मि. डसेल की ड़ाँट-फटकार ओर उबाऊ भाषण, दूसरों की बातें सुनकर मिसेज फ्रैंक का उसेडाँटना ओर उस पर अविश्वास करना, बड़ों के द्वारा उसके काम ओर केशसज्जा पर टीका-टिप्पणी करना, सिनेमा की पत्रिका खरीदने पर फिज़ूलखर्ची का आरोप लगाना, पीटर द्वारा उसके प्रेम को उजागर न करना आदि|
ऐन फ्रैंक की डायरी के द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका, हिटलर एवं नाजियों द्वारा यहूदियों का उत्पीड़न, डर, भुखमरी, गरीबी, आतंक, मानवीय संवेदनाएँ, प्रेम, घृणा, तेरह साल की उम्र के सपने, कल्पनाएँ, बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, मानसिक ओर शारीरिक जरूरतें, हँसी-मज़ाक, अकेलापन आदि का जीवंत रूप देखने को मिलता है |






प्रायः पूछे जाने वाले मह्त्त्वपूर्ण प्रश्न
कविताओं पर आधारित प्रश्नों का आगार
                  
                                                          1. कविता (आत्म-परिचय)

1.     मैं जग जीवन का भार लिए.........गान किया करता हूं ‘—विचार करे।
2.             कवि एक ओर तो जीवन का भार लिए फिरता है और दूसरी ओर प्यार यह कैसे संभव है ?
3.             कवि के ह्रदय के तारों को किसने झंकृत कर दिया होगा? उससे उसके जीवन पर क्या प्रभाव पडा?
4.             कवि ने यह क्यों कहा होगा कि स्नेह सुरा का पान किया करता हूं?
5.             अपने मन का गान करने से कवि का क्या अर्थ है ?
6.             कवि ने यह क्यों-- मैं फूट पडा ,तुम कहते छंद बनाना
7.             कवि संसार को क्या संदेश देना चाहता है ?
8.             जहां नादान वहां दाना भी रहते हैं ----का अर्थ बताओ।
9.             मै जग-जीवन का भार लिए फिरता हूं--- अर्थ स्पष्ट करें।
एक गीत : दिन जल्दी जल्दी ढलता है
1. दिन जल्दी जल्दी ढलता है --- का अर्थ स्पष्ट करें।
2. कविता में चिडिया, पथिक का उदाहरण क्यों दिया गया है । कवि अपने घर क्यों नहीं लौटना चाहता ?
2. पतंग
1. कविता में भादो का जो वर्णन मिलता है  उसका वर्णन अपने शब्दों मे कीजिए ।
2. ‘रोमांचित शरीर का संगीत’’ का जीवन की लय से क्या संबंध है ?
3. जन्म से ही वे अपने साथ लाते है कपास---कपास से बच्चों का क्या संबंध है ?
4 पतंग के साथ बच्चों के उडने का क्या संबंध है ?  
3. कविता के बहाने
1. कविता और चिड़िया के उडने में क्या अंतर है ?
2. कविता रचना और फूलों के खिलने का क्या संबंध बताया गया है ?
3. बिना मुरझाए कौन कहाँ महकता है ?
4 कविता की कौन कौन सी विशेषता बताई गई है ?
बात सीधी थी पर :
1.       भाषा के चक्कर का तात्पर्य बताएँ ।
2.       कवि ने बात को पाने के चक्कर में क्या क्या किया ?
3.       कवि की क्या कमी थी ?
4.       कवि ने किस कार्य को करतब कहा है ?
5.       भाषा ने कवि से क्या पूछा ?
6.       जोर जबरदस्ती से क्या अभिप्राय है ?
4. कैमरे में बंद अपाहिज :
1. हम दूरदर्शन पर बोलेंगे में आए हम शब्द का अर्थ बताएँ ।
2. प्रश्न पूछने वाला अपने उद्देश्य में कितना सफल हो पाता है ?
3. प्रश्नकर्त्ता कैमरे वाले को क्या निर्देश देता है ?
4. दर्शकों की मानसिकता क्या है ? 
5. कविता में आए शब्द सामाजिक उद्देश्य क्या है ?
5. सहर्ष स्वीकारा है :
1. कवि जीवन की प्रत्येक स्थिति को क्यों स्वीकारता है ?
2. गरीबी के लिए प्रयुक्त विशेषण का औचित्य बताएँ ।
3. पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण छांटिए तथा उनका प्रभाव बताएँ ।
4. कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों ?
5. कवि ने अपनी प्रेमिका की तुलना किससे की है और क्यों ?
6. कवि दंड क्यों पाना चाहता है और कहाँ जाना चाहता है ?
6. उषा :
1. आपने कभी अपने गाँव की सुबह देखी हो तो वर्णन करो ।
2. अभी गीला पडा है से क्या अभिप्राय है ?
3. कवि काली सिल और लाल केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है ?
4. उषा का जादू कैसा है और कैसे टूटता है ?
7. बादल राग :
1. अस्थिरसुख पर दुख की छाय क्यों कहा है ?
2. पृथ्वी में सोए हुए अंकुर किसे कहा गया है और क्यों ?
3. संसार के भयभीत होने का संदेश क्यों दिया गया है ?
4. गगन स्पर्शी स्पर्धाधीर कौन है ?
5. कविता में आए प्रतीकों का वर्णन करो ।
8. कवितावली :
1. पेट भरने के लिए लोग कौन कौन से अनैतिक कार्य कर रहे हैं –वर्तमान संदर्भ में बताएं ।
2. कवि ने समाज के किन किन वर्गों का वर्णन किया है ?
3. तुलसी के समाज की समस्याओं को आप आज भी देखते हैं उनका वर्णन करो ।
4. मानव की सभी जरूरतों की पूर्ति का साधन किसे बताया गया है ?
लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप :
1.       हनुमान भरत की किस बात से प्रभावित हुए ?
2.       हनुमान के चरित्र की विशेषताएं बताइये ।
3.       राम ने लक्ष्मण की किन किन विशेषताओं का उल्लेख किया ?
4.       वे कौन कौन सी वस्तुएं हैं जो संसार में मानव पुनः प्राप्त कर सकता है ?
5.       करूणा रस में वीर रस की अनुभुति से क्या अर्थ है ?
6.       कुम्भकरण का नारी के प्रति कैसा दृष्टिकोण है ?
रूबाइयाँ :
1.       कवि ने चाँद का टुकडा किसे कहा है और क्यों ?
2.       बच्चे की हँसी का क्या कारण है ? आप पर बच्चे की हँसी का क्या असर होता है ।
3.       बच्चा कब अपनी माँ को प्यार से देखता है ?
4.       दीवाली जैसे त्योहारों का जीवन में क्या मह्त्त्व है ?
गजल :
1.       कवि ने गजल में किस ऋतु का वर्णन किया है ?
2.       नौरस विशेषण का अर्थ बताएँ ।
3.       जर्राजर्रा सोए है’—का अर्थ स्पष्ट करें ।
4.       शब में कौन बोलता है ? क्या आपने कभी सुना है ?
5.       निंदाकरने वालो के बारे में क्या कहा गया है ?
छोटा मेरा खेत :
1.       कवि ने कवि-कर्म की तुलना किससे की है ?
2.       प्रतीकात्मकता को स्पष्ट करें ।
3.       क्षण का बीज किसे कहा है ?
4.       कल्पना और चिंतन को किस प्रतीक द्वारा दिखाया गया है ?
बगुलों के पंख :
1.       कवि किस दृश्य पर मुग्ध है और क्यों ?
2.       उसे कोई तनिक रोक रखो में कवि की किस मनोवृत्ति का पता चलता है ?
3.       कविता के मानवीकरण को स्पष्ट करें ।


पाठ= प्रथम ( भक्तिन)
निम्न महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को हल करों
1.लेखिका ने भक्तिन की तुलना हनुमान जी से क्यों की  ?
2.भक्तिन के नाम में क्या विरोधाभास था  ?
3.भक्तिन ने लेखिका से क्या आग्रह किया ?
4.लेखिका ने लक्ष्मी का क्या नामकरण किया और क्यों ?
5. विमाता ने लक्ष्मी को क्या संदेश भेजा ?
6. लक्ष्मी की सास ने उसके पिता का समाचार क्यों नहीं दिया ?
7 लक्ष्मी की सास ने उसे क्या कह कर विदा किया ?
8 लक्ष्मी ने अपनी व्यथा को कैसे प्रस्तुत किया ?
9 लक्ष्मी के जीवन के दूसरे परिच्छेद में (विवाह के बाद) क्या हुआ ?
10 लक्ष्मी के जीवन के दूसरे परिच्छेद में (विवाह के बाद) जीवन कैसा चला?
11जिठानियों के बच्चों की तुलना काकभुसुंडी से क्यों की है?
12 लक्ष्मी कौन सी लीक छोडकर चली जिसके कारण उसे सास का दंड भोगना पडा ?
13. लक्ष्मी का दुर्भाग्य भी कम हठी नहीं था ऐसा लेखिका ने क्यों कहा है?
14 जिठोतो को कौन सी आशा की किरण दिखाई दी ?
15 जिठौत ने क्या षड्यंत्र रचा ?
16 मां बेटी ने उनके षड्यंत्र को कैसे विफल किया ?
17 भक्तिन के जीवन के चार परिच्छेद कौन से थे ? 
पाठ= 2 (बाजार दर्शन)
1.मन खाली और जेब भरी होने से लेखक का क्या आशय है ?
2.आज-कल बाजारों मे फैंसी चीजो की भरमार है, इससे क्या लाभ- हाँनियां है?
3 भगत जी का उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि सभी पर बाजार का  जादू नहीं चलता ?
4 मनुष्य की धन पर विजय जड की चेतन पर विजय कैसे है ?
5 ‘बाजार दर्शनपाठ में लेखक ने किस बाजार को मानव की विडम्बना कहा है?
6. पाठ के आधार पर बताएं की किन लोगों के आगे पैसे की व्यंग्य शक्ति चूर-चूर हो जाती है ?
पाठ=3 ( काले मेघा पानी दे)
1.             काले मेघा पानी दे पाठ का मूल उद्देश्य स्पष्ट करें ?
2.             इंदर सेना का कार्य-कलाप लेखक को अंधविश्वास क्यों लगा ?
3.             जीजी ने लेखक को समझाने के लिए क्या-क्या तर्क दिए?
4.             त्याग के बिना दान नही होत--- पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
5.             पानी संकट की वर्तमान स्थिति पर विचार करो ।
पाठ=4 (पहलवान की ढोलक)
1.            कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दांव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्दों को सुन कर आपके मन पर क्या प्रभाव पडता है?
2.             गांव में महामारी फैलने और बेटों की मौत के बाद भी लुट्टन ढोल क्यों बजाता था ?
3.             ढोलक की आवाज का पूरे गांव पर क्या असर पडता था?
4.             महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के द्श्य का वर्णन करो ?
5.             रात्रि में पहलवान की ढोलक किसे ललकारती थी ?
6.             लुट्टन ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरू कोई और नहीं ये ढोलक ही है ।
पाठ=5 चार्ली चेप्लिन यानि हम सब
1.             लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा कि चार्ली पर अभी 50 वर्षो तक काफी कुछ कहा जायेगा?
2.            चेप्लिन ने न केवल फिल्मों को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि वर्ण व्यवस्था को भी तोडा ---- इसका अर्थ स्पष्ट करें।
3.             लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण किसे कहा है और क्यों गांधी व नेहरू समीपता चाहते थे?
4.             जीवन की जिद्दोजहद ने किस प्रकार चार्ली के जीवन का निर्माण किया है ?
5.             चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर कब हंसता है ?
पाठ=6 नमक
1. नमक कहानी में हिंदुस्तान पाकिस्तान में रहने वाले लोगो की भावनाओं,संवेदनाओं से उभारा गया है कैसे?
2. विभाजन के अनेक स्वरूपो में बंटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियां हो सकती है ---क्या विभाजन से दिलो का विभाजन हो जाता है ?
3. किसका वतन कहां हैवह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ़’--- आशय स्पष्ट करें?
पाठ=7 शिरीष के फूल
1.             लेखक ने शिरीष के फूल को कालजयी अवधूत क्यों कहा है?
2. हृदय की कोमलता बचानेकेलिए कभी कभी व्यवहार की कठोरता भी आवश्यक हो जाती है ---स्पष्ट करें।
3. द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी जिंदगी में जिजीविषु बने रहने की सीख कैसे दी है?
4. हाय ! वह अवधूत आज कहां--- कह कर किस महापुरूष की और संकेत किया है ?
पाठ=8 (क) श्रम-विभाजन और जाति प्रथा
1. जाति के अनुसार काम करने से क्या हानियां हुई ? समाज में काम करने की स्वतंत्रता के क्या लाभ है ?
2. भारतीय समाज के पिछडने के क्या कारण थे?
3. समाज के विकास में भाईचारा व सहयोग से क्या लाभ होते हैं ?
4.इस पाठ के आधार पर मनुष्य की कौन कौन सी क्षमता पर विचार किया है?
(ख)  आदर्श समाज
1.डॉ. अंबेदकर ने जिस आदर्श समाज की संकल्पना की है। उस पर लेख लिखिए।
2. लेखक ने समाज की किन-किन समस्याओं पर विचार किया है ?
3. समानत और स्वतंत्रता पर विचार दीजिए?



॥ सहायक सामग्री ।
हिंदी (केंद्रिक) सत्र 2016-17

अपठित गद्य/पद्य निर्धारित अंक:20
(गद्यांश के लिए 15 और काव्यांश के लिए 5 अंक निर्धारित)
मुख्य ध्यान देनें योग्य बातें :-
·         अपठित गद्य या पद्य के प्रश्नों के उत्तर 1 या 2 अंकों के होते हैं जिन्हे कम से कम दो बार पढना चाहिए ।
·         प्रश्नों के उत्तर देते समय सरलतम प्रश्नों का चुनाव पहले करें ।
·         प्रश्नों को सावधानी से पढ़कर समझना अति अनिवार्य है उत्तर देते समय ज्यादा विस्तार न करें ।
·         आपकी भाषा सरल और सहज होनी चाहिए ताकि उलझन पैदा न हो ।
·         व्याकरण सम्मत भाषा का प्रयोग करने का प्रयास करना चाहिए ।
·         कथ्य में जिस विषय को बार बार उठाया गया हो उसी से संबंधित शीर्षक होना चाहिए ।
निम्न उदाहरण देखिए :-

सुव्यवस्थित समाज का अनुसरण करना अनुशासन कहलाता है। व्यक्ति के जीवन में अनुशासन का बहुत महत्तव है। अनुशासन के बिना मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण नहीं कर सकता तथा चरित्रहीन व्यक्ति सभ्य-समाज का निर्माण नहीं कर सकता। अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए भी मनुष्य को अनुशासनबद्ध होना अति अनिवार्य है। विद्यार्थी जीवन मनुष्य के भावी जीवन की आधारशीला होता है, अतः विद्यार्थियों के लिए अनुशासन में रह कर जीवन यापन करना अत्यंत आवश्यक है।
वर्तमान समाज में सर्वत्र अव्यवस्था का साम्राज्य फैला हुआ है। विद्यार्थी, राजनेता, सरकारी कर्मचारी, श्रमिक आदि सभी स्वयं को स्वतंत्र भारत का नागरिक मानकर मनमानी कर रहे है। शासन में व्याप्त अस्थिरता समाज के अनुशासन को भी प्रभावित कर रही है। यदि किसी को अनुशासन में रहने के लिए कहा जाए तो वह शासन का अनुशरणकरने की बात कहकर अपनी अनुशासनहीनता पर पर्दा डालने का प्रयास करता है। वास्तव में अनुशासन शब्द का अर्थ अपने पर नियंत्रण ही है। विद्यार्थी जीवन में अबोधता के कारण उन्हे भले बुरे की पहचान नहीं होती। ऐसी स्थिति में थोडी सी असावधानी उन्हे अनुशासनहीन बना देती है। आजकल विद्यार्थियों की पढाई में रूचि नहीं है। वे आधुनिक शिक्षा पद्धति को बेकारों की सेना तैयार करने वाली नीति मान कर इसके प्रति उदासीन हो गए है तथा फैशन, सुख-सुविधापूर्ण जीवन जीने के लिए गलत रास्तों पर चलने लगे हैं। वर्तमान जीवन में व्याप्त राजनीतिक दलबंदी भी विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता को प्रोत्साहित करती है। राजनीतिक नेता अपने स्वार्थ के लिए विद्यार्थियों को भडका देते है तथा विद्यार्थी वर्ग भलेबुरे की चिंता किए बिना तोड-फोड मे लग जाता है।
आधुनिक युग में अति व्यस्त जीवन पद्धति के कारण माता पिता अपनी संतान का पूरा ध्यान नहीं रख पाते। चार-पांच घंटे कॉलेज में रहने वाला विद्यार्थी उन्नीस बीस घंटे तो अपने परिवारजनों के साथ ही रहता है। पारिवारिक परिवेश का उस पर बहुत प्रभाव पडता है। यदि उसके माता-पिता अनुशासित जीवन नहीं जीते तो उसे भी उच्छृख्ल जीवन जीना पडता है। वे माता पिता जो अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते उनके बच्चों में भी समय पाबंदी और मूल्यों को लेकर संदेह बना रहता है तथा बच्चे भी शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं दे पाते। विद्यार्थियों में अनुशासन बनाएं रखने के लिए विशेष योजना चलानी चाहिए ताकि उनमें नैतिक व चारित्रिक उत्थान को बढाया जा सके। इस प्रकार के प्रोत्साहनों से उन्हे अपने कर्त्तव्य का बोध कराया जा सकता है। अतः हम कह सकते है कि अनुशासन से ही विद्यार्थियों के साथ साथ राष्ट्र को ऊंचा उठाया जा सकता है। इससे उसका स्वभाव व सद्वृत्तियों को ऊंचा उठाया जा सकता है। ऐसा विद्यार्थी समाज और राष्ट्र का नाम करता है। उसमें सद्गुण और कर्मठता के गुण आते है। परिश्रम और कर्त्तव्य के द्वारा वह देश सेवा करता है।       
(क)       गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।                                       1
(ख)       अनुशासन से क्या अभिप्राय है ?                                        2
(ग)         मानव जीवन में अनुशासन का क्या महत्त्व है ?                        1 
(घ)        मानव जीवन के विकास हेतु क्या आवश्यक है?                             2
(ङ)       वर्तमान समाज में किस प्रकार की स्थिति होनी चाहिए ?                       1
(च)        आजकल विद्यार्थी पढाई के प्रति उदासीन क्यों है?                      1
(छ)       आजकल माता-पिता अपनी संतान के प्रति ध्यान क्यों नहीं देपा रहे है?       1
(ज)        कौन से अध्यापक कक्षा में इधर उधर की बाते करते है?                 1
(झ)        माता पिता का बच्चों के प्रति क्या कर्त्तव्य होना चाहिए ?                  1
(ञ)       सद्गुण तथा कर्मठ शब्दों के वाक्य बनाइये।                         1
(ट)         परिश्रमी तथा उच्छृंखल शब्दों के दो-दो पर्यायवाची बनाए।                   2          
(ठ)        कुमार्ग तथा सत्संगति शब्दों के विलोम लिखिए।                        1
उत्तर :-
(क) जीवन में अनुशासन का महत्तव
   (क)  अपने पर नियंत्रण ।
   (ख)  इससे जीवन में निखार आता है ।
   (ग)    अनुशासन की पालना ।
   (घ)    अनुशासन प्रिय
   (ङ)  सामाजिक, घरेलु और आस पास की परिस्थितियां राह नहीं दिखा रही ।
   (च)   कामकाज और व्यस्तता के कारण ।
   (छ)  जो अनुशासन के अंतर्गत नहीं चलते ।
   (ज)   उनको सही दिशा और मार्गदर्शन देना चाहिए ।
   (झ)  अपरिश्रमी, आलसी, अकर्मण्य
उद्दंडी, निरंकुश, सद्मार्ग, कुसंगति
प्रश्न 2 काव्यांश का उदाहरण-                                           अंक 5
थे कर्मवीर कि मृत्यु का भी ध्यान कुछ धरते न थे,
थे युद्धवीर कि काल से भी हम कभी डरते न थे।
थे दानवीर कि देह का भी लोभ हम करते न थे,
थे कर्मवीर कि प्राण के भी मोह पर मरते न थे,
थे भीम तुल्य महाबली अर्जुन समान महारथी,
श्रीकृष्ण लीलमय हुए थे, आप जिनके सारथी।
उपदेश गीता का हमारा युद्ध का ही गीत है,
जीवन समर में भी जनों को जो दिलाता जीत है॥
हम थे धनुर्वेदक जैसे और वैसा कौन था ?
जो शब्दबेधी बाण छोडे शूर ऐसा कौन था ?
हां मत्स्य जैसे लक्ष्य बेधक धीर धन्वी थे यहाँ
रिपु को गिराकर अस्त्र पीछे लौट आते थे वहाँ ॥
वह सामरिक सिद्धांत भी औदार्यपूर्ण पवित्र था,
थी युद्ध में ही शत्रुता, अन्यत्र वैरी मित्र था।
जय लोभ में भी छल कपट आने न पाता पास था,
प्रतिपक्षियों को भी हमारे साथ का विश्वास था।
(क)      अंतिम दो पंक्तियों के माध्यम से कवि ने पूर्वजों की कौन सी विशेषता बताई है?
(ख)       हमारे पूर्वजों को किनके समान श्रेष्ठ बताया है?
(ग)        गीता का उपदेश क्या है ?
(घ)        हमारे पूर्वजों के सामरिक सिद्धांत कौन से थे ?
   (ड) कर्मवीर कौन थे और कैसे ?                                              1X5=5
उत्तर :-
(क)     वे छल कपट और मोह से मुक्त रहते थे ।
(ख)    अर्जुन और भीम के समान ।
(ग)      कर्म का उपदेश (युद्ध करना पुण्य) ।
(घ)     युद्ध भूमि में ही शत्रु अन्यत्र मित्र का भाव ।
(ङ)    हमारे पूर्वज, कर्म करना और उन्हे महत्त्व देना
                           
अथवा
तुम भारत, हम भारतीय हैं, तुम माता, हम बेटे हैं ,
किसकी हिम्मत है कि तुम्हे दुष्टता दृष्टि से देखे ।
ओ माता , तुम एक अरब से अधिक भुजाओं वाली,
सबकी रक्षा में तुम सक्षम, हो अदम्य बलशाली ।
भाषा, वेश, प्रदेश भिन्न है, फिर भी भाई- भाई ,
भारत की सांझी संस्कृति में पलते भारतवासी ।
सुदिनों में हम एक साथ हँसते, गाते, सोते हैं,
दुर्दिन में भी साथ साथ जगते, पौरूष धोते हैं ।
तुम हो शस्य श्यामला, खेतों में तुम लहराती हो ,
प्रकृति प्राणमयी, साम गानमयी, तुम न किसे भाती हो ।
तुम न अगर होती तो धरती वसुधा क्यों कहलाती ?
गंगा कहाँ बहा करती, गीता क्यों गाई जाती ?
प्रश्न :-
(क)     सांझी संस्कृति का क्या भाव है ?
(ख)      भारत को अदम्य बलशाली क्यों कहा गया है ?
(ग)      सुख-दुःख के दिनों में भारतीयों का परस्पर सहयोग कैसा होता है ?
(घ)      साम गानमयी का क्या तात्पर्य है ?
(ङ)      “ओ माता”, तुम एक अरब से अधिक भुजाओं वाली में कौन सा अलंकार है ?
उत्तर :-
(क)    भाषा, वेश, प्रदेश भिन्न होते हुए भी सभी के सुख-दुख एक हैं ।
(ख)    भारत की एक अरब से अधिक जनसंख्या भारत माता की मजबूत भुजाएँ हैं ।
(ग)     भारतीयों का सुख दुख में भी मिल जुलकर रहने का भाव उत्तम है ।
(घ)     सुमधुर संगीत से युक्त ।
(ङ)    रूपक अलंकार ।

प्रश्न 3 निबंध लेखन                                            अंक=5

ध्यान देनें योग्य बातें :-

·         दिए गए विषयों को ध्यान से पढे और विचार करें कि कौन से विषय पर आप ज्यादा प्रभावी ज्ञान, उदाहरण और विचार कर सकते हैं ।
·         किसी भी निबंध की भूमिका, विस्तार और उपसंहार लिखना ही चाहिए ।
·         पुनरावृत्ति दोष से बचे ।
·         भाषा सरल ,सहज और बोध प्रधान हो। एक बात को बार-बार न दोहराएँ ।

निबंध हेतु नमूना :

विज्ञान : वरदान या अभिशाप
(क)     भूमिका
(ख)     विज्ञान वरदान है (पक्ष में)
·         शिक्षा के क्षेत्र में
·         चिकित्सा के क्षेत्र में
·         मनोरंजन के क्षेत्र में
·         कृषि के क्षेत्र में
·         यातायात के क्षेत्र में
(ग) विज्ञान अभिशाप (विपक्ष में )
·         शिक्षा के क्षेत्र में
·         चिकित्सा के क्षेत्र में
·         मनोरंजन के क्षेत्र में
·         कृषि के क्षेत्र में
·         यातायात के क्षेत्र में
(घ). विज्ञान के प्रति हमारे दायित्व
(ड.) उपसंहार
(उपरोक्त बिंदुओं को विद्यार्थी अपने अध्यापकों की सहायता से बढा भी सकते हैं )

विद्यार्थियों के अभ्यास हेतु महत्त्वपूर्ण निबंधों की सूचि :-
1.  भारत और विश्व                         11. मैं और मेरा देश
2.  महानगरीय जीवन :अभिशाप या वरदान         12. आधुनिक शिक्षा पद्धति : गुण व दोष
3.  विज्ञान कला या विज्ञान                     13. बदलते जीवन मूल्य
4.  भारत और नई सदी                      14. योग का जीवन में महत्त्व
5.  कामकाजी महिलाएँ और उनकी समस्याएँ        15. राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका
6.  महंगाई                                16. बढती जनसंख्या
7.  खेल-कूद का जीवन में मह्त्तव               17. पराधीन सपनेहूँ सुख नाहीं
8.  विज्ञापनों का लुभावना संसार                 18. नारी का समाज में स्थान
9.  धार्मिक सहनशीलता का समाज विकास में योगदान 19. पुस्तकों का महत्त्व  
10.इंटरनेट की दुनिया                        20. पर्यावरण और हमारा दायित्व
प्रश्न 4 : पत्र लेखन :-
विचारों, भावों, संदेशों एवं सूचनाओं के संप्रेषण के लिए पत्र सहज, सरल तथा पारंपरिक माध्यम है । पत्र अनेक प्रकार के हो सकते हैं, पर प्रायः परीक्षाओं में शिकायती पत्र, आवेदन पत्र तथा संपादक के नाम पत्र पूछे जाते हैं । इन पत्रों को लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए ।
·         पता और दिनांक- पत्र के ऊपर बाईं ओर प्रेषक का पता व दिनांक लिखा जाता है (छात्र पते के लिए परीक्षा भवन भी लिखते हैं)
·         संबोधन और पता- जिसको पत्र लिखा जा रहा है उसको यथानुरूप संबोधित किया जाता है , औपचारिक पत्रों में पद ,नाम और कार्यालयी पता रहता है ।
·         विषय- केवल औपचारिक पत्रों में प्रयोग करें (पत्र के कथ्य का संक्षिप्त रूप, जिसे पढ़ कर पत्र की सामग्री का संकेत मिल जाता है )
·          पत्र की सामग्री- यह पत्र का मूल विषय है, इसे संक्षेप में सारगर्भित और विषय के स्पष्टीकरण के साथ लिखा जाए ।
·         पत्र की समाप्ति- इसमें धन्यवाद,आभार, साभार सहित जैसे शब्दों को लिखा जाता है इसके बाद लेखक अपना नाम व पता हस्ताक्षर सहित देता है ।
·         विशेष सूचना :- विद्यार्थी बोर्ड की परीक्षा में कहीं भी अपना नाम व पता न दें जो पत्र में प्रस्तुत हुआ है केवल वही नाम पता देना होता है । जानबूझ कर अपना सही पता नाम देना परीक्षा नियमों का उल्लंघन है ।
·         पत्र का नमूना
समाचार पत्र के संपादक को स्वच्छ विद्यालय अभियान के समाचार को प्रकाशित करने हेतु अनुरोध पत्र लिखो

परीक्षा भवन,
...............
दिनांक:-............
प्रतिष्ठा में,
संपादक महोदय,
दैनिक............,
क.ख.ग
विषय :- विद्यालय में आयोजित स्वच्छ विद्यालय अभियान की सूचना हेतु ।
श्रीमान/श्रीमती जी,
मैं आपके समाचार पत्र.......का नियमित पाठक हूँ । आपके समाचार पत्र में देश विदेश के साथ साथ क्षेत्रीय समाचारों को भी बाखूबी प्रकाशित करते हो । मैं केंद्रीय विद्यालय क्र-1 का छात्र हूँ । मेरे विद्यालय में कल प्राचार्य श्री .... सिहँ जी के नेतृत्व में स्वच्छ विद्यालय अभियान चलाया गया जिसमें सभी शिक्षकों एवं बच्चों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया । सभी कक्षाओं, बरामदों , प्रयोगशालाओं व बगीचों की सफाई की गई । प्राचार्य महोद्य ने अभियान का निरीक्षण भी किया व सफाई के महत्त्व को बच्चों के सामने प्रस्तुत किया गया । इस गतिविधि की फोटो भी आपको भेज रहा हूँ मुझे उम्मीद है कि आप इसे अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करोगे जिससे अन्य लोगों को भी सफाई के प्रति जागरूकता मिले ।
धन्यवाद सहित
भवदीय
क.ख.ग.
अभ्यासार्थ पत्र  :-
1.  किसी दैनिक समाचार-पत्र के संपादक के नाम पत्र लिखिए जिसमें वृक्षों की कटाई रोकने के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया हो ।
2.  हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल वर्ग पर पडने वाले दुष्प्रभावों का वर्णन करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के नाम पत्र लिखो ।
3.  अनियमित डाक वितरण की शिकायत करते हुए पोस्टमास्टर को पत्र लिखो ।
4.  लिपिक पद हेतु विद्यालय के प्राचार्य को आवेदन पत्र लिखें।
5.  अपने क्षेत्र में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों का वर्णन करते हुए अधिशासी अभियंता विद्युत बोर्ड को पत्र लिखिए ।
6.  भारतीय युवाओं में क्रिकेट के प्रति अत्याधिक लगाव की चर्चा करते हुए अन्य खेलों के प्रति उदासीनता पर किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखो ।
7.  दूरदर्शन केंद्र के निदेशक को प्रायोजित कार्यक्रमों के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए पत्र लिखो।
8.  किसी दुर्घटना के साक्षी/दर्शक उस घटना के प्रति उदासीन रहते हैं कोई सहायता नहीं करते इस विषय पर संपादक को पत्र लिखो ।
9.  महिलाओं के प्रति बढ रहे अपराधों के कारणों का उल्लेख करते हुए संपादक को पत्र लिखो ।
10. अपने क्षेत्र की कानून व्यवस्था की बिगडती हालत पर खेद व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखो ।
जनसंचार माध्यम
1.  प्र. संचार किसे कहते हैं ?
उत्तर :संचार शब्द चर्‍ धातु के साथ सम्‍ उपसर्ग जोडने से बना है—जिसका अर्थ है चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना । संचार संदेशों का आदान प्रदान है । सूचनाओं,विचारों और भावनाओं का लिखित, मौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के जरिए सफलतापूर्वक आदान-प्रदान करना या एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना संचार है ।
2.  प्र. संचार माध्यम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : संचार प्रक्रिया को सम्पन्न करने में सहयोगी तरीके तथा उपकरण संचार के माध्यम कहलाते हैं ।
3.  प्र संचार के मूल तत्व लिखिए ?
उत्तर : * संचारक या स्रोत
·             एंकोडिंग (कूटीकरण)
·             संदेश (जिसे संचारक प्राप्त कर्ता तक पहुँचाना चाहता है)
·            माध्यम (संदेश को प्राप्त कर्ता तक पहुँचाने वाला माध्यम होता है जैसे ध्वनि तरंगे, तरंगे, टेलिफोन,समचार पत्र, रेडियो, टी.वी. आदि ।
·            प्राप्तकर्त्ता (डिकोडिंग कर संदेश को प्राप्त करने वाला)
·            फीडबैक (संचार प्रक्रिया में प्राप्तकर्ता की प्रतिक्रिया)
·            शोर (संचार प्रक्रिया में आने वाली वाधा)
4.  प्र. संचार के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर : * सांकेतिक संचार        * मौखिक संचार
·             अमौखिक संचार       * अंतर्वैयक्तिक संचार
·             समूह संचार          * जनसंचा


5.  प्र. जनसंचार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : प्रत्यक्ष संवाद की बजाय किसी तकनीकि या यांत्रिक माध्यम के द्वारा समाज के एक विशालवर्ग़ से संवाद कायम करना जनसंचार कहलाता है ।
6.  प्र. जनसंचार के प्रमुख माध्यमों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर : समाचार पत्र , रेडियो, इंटरनेट, टी.वी. सीनेमा आदि ।
7.  प्र. जनसंचार की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर 1. इसमें फीडबैक तुरंत प्राप्त नहीं होता ।
2. इसके संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है ।
3 संचारक और प्राप्तकर्त्ता के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता ।
4 जनसंचार के लिए एक औपचारिक संगठन की आवश्यक्ता होती है ।
5 इसमें ढेर सारे द्वारपाल काम करते हैं ।
8.  प्र. जनसंचार के प्रमुख कार्य कौन कौन से हैं ?
उत्तर : 1 सूचना देना 2. शिक्षित करना 3 मनोरंजन करना 4 निगरानी करना 5 एजेंडा तय करना 6 विचार विमर्श के लिए मंच उपलब्ध कराना ।
9.  प्र.लाइव से क्या अभिप्राय: है ?
उतर : किसी घटना का घटना स्थलसे सीधा प्रसारण लाइव कहलाता है ।
10.प्र. भारत का पहला समाचार वाहक किसे माना जाता है ?
उत्तर : देवऋषि नारद
11.प्र. जनसंचार का सबसे पहला मह्त्त्वपूर्ण एवं विस्तृत माध्यम कौन सा था ?
उत्तर : समाचार पत्र एवं पत्रिका
12.प्र. प्रिंट मिडिया के तीन प्रमुख पहलु कौन कौन से हैं ?
उत्तर : समाचारों को संकलित करना , संपादन करना , मुद्रण तथा प्रसारण ।
13.प्र. समाचारों को संकलित करने का कार्य कौन करता है ?
उत्तर : संवाददाता
14.प्र.भारत में पत्रकारिता की शुरुआत कब और किससे हुई ?
उत्तर : भारत में पत्रकारिता की शुरुआत सन्‍ 1780 में जेम्स ऑगस्ट हिकी के बंगाल गजट से हुई जो कलकता से प्रकाशित हुआ ।
15.प्र. हिंदी का पहला साप्ताहिक पत्र किसे माना जाता है ?
उत्तर : उदंत मार्तंड, संपादक जुगल किशोर शुक्ल ।
16.प्र. आजादी से पहले कौन कौन प्रमुख पत्रकार हुए ?
उत्तर: महात्मा गाँधी, लोकमान्य तिलक, मदना मोहन मालवीय, गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी ।
17.प्र. आजादी से पूर्व समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के नाम लिखो ।
उत्तर : केसरी, हिंदुस्तान, सरस्वती, हंस, कर्मवीर, आज, प्रताप,प्रदीप, विशाल भारत आदि
18.प्र. आजादी के बाद की प्रमुख पत्र एवं पत्रिकाओं के नाम लिखो ।
उत्तर- प्रमुख पत्र– नव भारत टाइम्स, जनसत्त, नई दुनिया, हिंदुस्तान, अमर उजाला दैनिक भास्कर
पत्रिकाएँ:- धर्मयुग,साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान, रविवार, इंडियाटुडे, आउटलुक
पत्रकार :- अज्ञेय, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती, मनोहर श्याम जोशी, राजेंद्र माथुर ।
19.प्र. पत्रकारिता क्या है ?
उत्तर: ऐसी सूचनाओं का संकलन एवं संपादन कर आम पाठकों तक पहुँचान, जिनमें अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो तथा जो अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित करती हो , पत्रकारिता कहलाती है ।
20.प्र. पत्रकारीय लेखन तथा साहित्यिक सृजनात्मक लेखन में क्या अंतर है ?
उत्तर : पत्रकारीय लेखन का मूल उद्देश्य सूचना प्रदान करना होता है , इसमें तथ्यों की प्रधानता होती है जबकि साहित्यिक सृजनत्मक लेखन भाव,कल्पना और सौंदर्य प्रधान होता है ।
21.प्र. पत्रकारिता के प्रमुख आयाम कौन कौन से होते है ?
उत्तर : संपादकीय,फोटो पत्रकारिता, कार्टून कोना, रेखांकन, कार्टोग्राफ
22.प्र. समाचार किसे कहते हैं ?
उत्तर :जो घटना, सूचना अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित करे
23.समाचार के तत्वों का उल्लेख करें ।
उत्तर : नवीनता, निकटता, प्रभाव, जनरूचि, उपयोगी, निष्कपटता ।
24.प्र. डेड लाइन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : समाचार माध्यमों के लिए समाचारों को प्रकाशित करने के निर्धारित समय को डेड लाइन कहते है ।
25.प्र. संपादन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर : प्रकाशन के लिए प्राप्त सामग्री से उसकी अशुद्धियाँ दूर कर पठनीय और प्रकाशन योग्य बनाना संपादन कहलाता है ।
26.प्र.संपादकीय क्या है ?
उतर : संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर दिए गए विचारात्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचार पत्र की राय भी कहा जाता है, उसे संपादकीय कहते हैं ।
27.प्र. पत्रकारिता के प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें ।
उत्तर : * खोजी पत्रकारिता
·         विशेषीकृत पत्रकारिता
·         वॉचडॉग पत्रकारिता
·         एड्वोकेसी पत्रकारिता
·         पीत पत्रकारिता
·         पेज थ्री पत्रकारिता
28.प्र. खोजी पत्रकारिता क्या है ?
उत्तर : जिसमें आमतौर पर सार्वजनिक महत्त्व के मामले, जैसे भ्रष्टाचार, घपले घोटाले, अनियमितताएँ और गडबडियों को सामने लाया जाता है ।
29.वाचडॉग पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
उत्तर : सरकारी कामकाज पर पैनी नजर रखते हुए गडबडियों के संबंध में पत्रकारिता करना ।
30.एडवोकेसी पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
उत्तर : किसी खास मुद्दे या विचारधारा पर जनमत तैयार करने की मुहीम के लिए की गई पत्रकारिता एडवोकेसी पत्रकारिता कहलाती है ।
31.प्र.पीत पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
उत्तर : पाठकों को लुभाने के लिए झूठी अफवाहों, प्रेम संबंधों, आरोपों प्रत्यारोपों आदि से जुडी सनसनी खेज समाचारों को पीत पत्रकारिता कहते हैं ।
32.पेज थ्री पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
उत्तर : ऐसी पत्रकारिता जिसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों, महफिल और जाने माने लोगों के निजी जीवन को उजागर किया जाए ।
33.प्र. विशेषीकृत पत्रकारिता क्या है ?
उत्तर : किसी विशेष क्षेत्र की जानकारी देते हुए उसका विश्लेषण करना विशेषीकृत पत्रकारिता है ।
34.प्र. वैकल्पिक पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
उत्तर : मुख्य धारा की मीडिया के विरुद्ध जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाकर अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है ।
35.विशेषीकृत पत्रकारिता के प्रमुख क्षेत्रों का उल्लेख करो ।
उत्तर : * संसदीय पत्रकारिता
·         न्यायालय पत्रकारिता
·         आर्थिक पत्रकारिता
·         खेल पत्रकारिता
·         विज्ञान और विकास पत्रकारिता
·         अपराध पत्रकारिता
·         फैशन और फिल्म पत्रकारिता
36.प्र. प्रिंट मीडिया से क्या आशय है ?
उत्तर : छपाई वाले संचार माध्यम को प्रिंट मीडिया कहते हैं । इसे मुद्रण माध्यम भी कहते हैं ।
37.प्र. आधुनिक छापेखाने का आविष्कार किसने किया ?
उत्तर : जर्मनी के गुटेनवर्ग ने ।
38.प्र. भारत में पहला छापा खाना कब और कहां पर खुला था?
उत्तर : सन्‍ 1556 में गोवा में खुला ।
39.जनसंचार के मुद्रित माध्यम कौन से हैं ?
उत्तर : अखबार, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि ।
40.मुद्रित मध्यम की विशेषताएँ बताएँ ?
उत्तर : * छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है ।
·         यह माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है ।
·         यह चिंतन्, विचार-विश्लेषण का माध्यम है ।
41.प्र.मुद्रित माध्यम की सीमाएँ लिखिए ।
उत्तर : * निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं होते ।
·         ये तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते ।
·         इसमें स्पेश तथा शब्द सीमा का ध्यान रखना पडता है ।
42.मुद्रित माध्यम के लेखन के लिए कौन कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर : *भाषागत शुद्धता का ध्यान  रखा जाना चाहिए ।
·         प्रचलित भाषा का प्रयोग किया जाए ।
·         समय, शब्द व स्थान की सीमा का ध्यान रखा जाना चाहिए ।
43.इलैक्ट्रोनिक माध्यम से क्या सम्झते हैं ?
उत्तर :  जिन जनसंचार में इलैक्ट्रोनिक उपकरणों का सहारा लिया जाता है, इलैक्ट्रोनिक माध्यम कहते हैं ।
44.ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई ?
उत्तर : सन्‍ 1936 में ।
45.एफ.एम. रेडियो की शुरुआत कब से हुई ?
उत्तर सन्‍ 1993 में ।
46.रेडियो किस प्रकार का माध्यम है ?
उत्तर : इलैक्ट्रोनिक श्रव्य माध्यम है ।

47.रेडियो समाचार किस शैली पर आधारित होते हैं ?
उत्तर : उल्टा पिरामिड शैली में ।
48.उल्टा पिरामिड शैली किसे कहते हैं ? यह कितने भागों में बंटी है ?
उत्तर : जिसमें तथ्यों को महत्त्व के क्रम से प्रस्तुत किया जाता है, सर्वप्रथम सबसे महत्तवपूर्ण तथ्यको तथा उसके बाद कम महत्व की सूचनाओं को घटते क्रम में रखा जाता है । उसे उल्टा पिरामिड शैली कहते हैं ।
49. भारत में पहली मूक फिल्म किसने बनाई ?
    उत्तर:- भारत में पहली मूक-फिल्म राजा हरिश्चन्द्र’ (1913) दादा साहब फाल्के ने बनाई |
50    भारत की पहली बोलती फिल्म कौन सी थी ?
    उत्तर:- आलम आरा (1931) |
51. पत्रकारिता का मूल तत्त्व क्या है ?
    उत्तर:- पत्रकारिता का मूल तत्त्व जिज्ञासा है |
52.  मनुष्य सूचनाएँ क्यों जानना चाहता है ?
उत्तर : अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए, मनुष्य सूचनाएँ इसलिए जानना चाहता है ताकि वह भविष्य की योजनाएँ बना सके | सूचनाएँ उसके दैनिक जीवन को भी प्रभावित करती है |
53.   समाचार प्राप्त करके के माध्यम कौन-कौन से हैं ?
   उत्तर:- समाचार-पत्र, इंटरनेट, रेडियो, टेलीविजन आदि |
54.   डिकोडिंग का अर्थ बताइए |
उत्तर :- इसका अर्थ है- अस्पष्ट संदेश में निहित अर्थ समझने की कोशिश करना| यह एनकोडिंग से उलटी प्रक्रिया है| इसमें संदेश  प्राप्तकर्ता प्राप्त चिन्हों व संकेतों के अर्थ निकालता है |
55. फीडबैक किसे कहते हैं ?
उत्तर :- संचार प्रक्रिया में संदेश प्राप्तकर्ता द्वारा दर्शायी गई प्रतिक्रिया को फीडबैक कहते हैं| यह सकारात्मक या नकारात्मक दोनों हीप्रकार की हो सकती है |
56.   शोर क्या है ?
उत्तर :- संचार प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को शोर कहते हैं, यह शोर मानसिक से लेकर तकनीकी और भौतिक हो सकता है| इसके कारण कोई संदेश अपने प्राप्तकर्ता तक अपने मूल रूप में नहीं पहुँच पाता |
57.   भारत में छपने वाला पहला अखबार कौन-सा था ?
      उत्तर :- बंगाल गजट (1780) |
58. हिंदी का पहला साप्ताहिक पत्र कौन-सा था ?
      उत्तर :- पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा सम्पादित उदंत मार्तंड (1876-80) |
59.   संचार के साधन कौन-कौन से हैं ?
    उत्तर:- टेलीफोन, इंटरनेट, समाचार-पत्र, फैक्स, रेडियो, टेलिविज़न, सिनेमा आदि |
60.   संचार की प्रक्रिया के तत्त्व कौन-कौन से हैं ?
    उत्तर:- संचार की प्रक्रिया के तत्त्व निम्नलिखित हैं :-
(क)      स्त्रोत      (ख) एनकोडिंग     ग) माध्यम        (घ) प्राप्तकर्ता
61.   पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
उत्तर:- देश-विदेश में घटने वाली घटनाओं को समाचार के रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पत्रकारिता कहते हैं |


62.   सम्पादन का अर्थ बताइए |
उत्तर:- सम्पादन का अर्थ है किसी सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनाना| इसमें उपसम्पादक रिपोर्टर की खबर सम्बन्धी भाषा-शैली, व्याकरण, वर्तनी तथा तथ्य सम्बन्धी अशुद्धियों को दूर करता है |
63.   सम्पादन के मुख्यबिंदु कौन-कौन से हैं ?
    उत्तर :- (१) तथ्यों की शुद्धता या तथ्यपरकता     (२) वस्तुपरकता 
(३) निष्पक्षता                        (४)संतुलन          
(५) स्त्रोत
64.   वस्तुपरकता और तथ्यपरकता इनमें क्या अंतर है ?
उत्तर:- वस्तुपरकता का संबंध सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक मूल्यों से होता है, जबकि तथ्यपरकता का संबंध अधिकाधिक तथ्यों से है | वस्तुपरकता तथ्य को देखने की दृष्टि है |
65.   सम्पादकीय पृष्ठ पर टिप्पणी लिखिए |
उत्तर:- सम्पादकीय पृष्ठ को समाचार-पत्र का महत्त्वपूर्ण पृष्ठ मन जाता है| इस पर विभिन्न घटनाओं व समाचारों पर अखबार अपनी राय व्यक्त करता है| इस पृष्ठ पर विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के लेख होते हैं| सम्पादक के नाम पत्र भी इस पृष्ठ पर ही होते हैं| जो लोगों की भावनाओं को व्यक्त करते हैं |
66.   फीचर क्या है ?
उत्तर : फीचरएक प्रकार का सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है ।
67.   समाचार के छहः ककार कौन कौन से हैं ?
उत्तर : क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों और कैसे ।
68      भारत में टी.वी की शुरुआत कब हुई और क्यों
उत्तर:- भारत में टी.वी. की शुरुआत 15 सितंबर 1959 को हुई | इसका उद्देश्य शिक्षा और सामुदायिक विकास को प्रोत्साहित करना था |
69      बीट का क्या महत्त्व है ?
उत्तर : इससे समाचार पत्र के प्रकाशन एवं पाठकों के पठन में सुविधा होती है ।
70      आलेख किसे कहते हैं ।
        उत्तर : किसी विषय पर सार गर्भित एवं आलोचनात्मक लेख आलेख की श्रेणी में आता है


प्रायः पूछे जाने वाले मह्त्त्वपूर्ण प्रश्न
बोर्ड परीक्षाओं में पूछे गए अति मह्त्वपूर्ण प्रश्नों का कोष
अध्यापक की सहायता से करें :-
1.  प्रिंट माध्यम किसे कहते हैं ?
2.  जनसंचार के प्रचलित माध्यमों में सबसे पुराना कौन सा है ?
3.  किन्ही दो मुद्रित माध्यमों के नाम लिखो ।
4.  छापाखाने के अविष्कार का श्रेय किसको जाता है ?
5.  हिंदी का पहला समाचार पत्र कब से किसके द्वारा प्रकाशित किया गया ?
6.  हिंदी में प्रकाशित होने वाले दो दैनिक समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं के नाम लिखो ।
7.  रेडियो की अपेक्षा टी.वी. स्माचारों की लोकप्रियता के दो कारण लिखो ।
8.  पत्रकारीय लेखन तथा साहित्यिक सृजनात्मक लेखन का अंतर बताएँ ।
9.  पत्रकारिता मूल तत्व क्या है?
10.स्तम्भ लेखन से क्या तात्पर्य है ?
11.पीत पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
12.खोजी पत्रकारिता का आशय स्पष्ट कीजिए ?
13.समाचार शब्द को पारिभाषित कीजिए ।
14.उल्टा पिरामिड शैली क्या है ?
15.समाचार लेखन में छ्हः ककारों का क्या मह्त्त्व है ?
16.मुद्रित माध्यमों की किन्ही दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
17.डेड लाइन क्या है ?
18.रेडियो नाटक से आप क्या समझते है ?
19.रेडियो समाचार की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए ।
20.एंकर बाइट किसे कहते हैं ?
21.टेलिविजन स्माचारों में एंकर बाइट क्यों जरूरी है ?
22.मुद्रित माध्यम को स्थाई माध्यम क्यों कहा जाता है ?
23.किन्ही दो समाचार चैनलों के नाम लिखिए ।
24.इंटरनेट पत्रकारिता के लोकप्रिय होने के क्या कारण है ।
25.इंटरनेट पर उपल्ब्ध चार समाचार पत्रोंके नाम बताओ ।
26.बीट किसे कहते हैं ?
27.विशेष रिपोर्ट के दो प्रकारों के नाम बताओ ।
28.विशेष लेखन के दो प्रकार बताओ ।
29.संपादकीय के साथ संपादकका नाम क्यों नहीं दिया जाता ?
30.संपादकीय कया होता है ?
31.ड्राई एंकर किसे कहा जाता है ?
32.न्यूज पेग क्या है ?
33.ओडियंस से आप क्या समझते हैं ?
34.इलैक्ट्रोनिक मीडिया क्या है ?
35.कार्टून कौना क्या है ?
36.विज्ञापन किसे कहते हैं ?
37.कम्प्यूटर के लोकप्रिय होने का क्या कारण है ?
38.फीडबैक से क्या अभिप्राय है ?
39.जनसंचार से आप क्या समझते हैं ?
40.समाचार और फीचर में क्या अंतर है ? 
(क)      आलेख/रिपोर्ट- निर्धारित अंक 5
आलेख लेखन हेतु मह्त्वपूर्ण बातें :-
1.  किसी विषय पर सर्वांगीण जानकारी जो तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक अथवा विचारात्मक हो आलेख कहलाता है ।
2.  आलेख का आकार संक्षिप्त होता है ।
3.  इसमें विचारों और तथ्यों की स्पष्टता रहती है, विचार क्रमबद्ध रूप में होने चाहिए ।
4.  विचार या तथ्यों की पुनरावृत्ति न हो ।
5.  आलेख की शैली विवेचनात्मक,विश्लेषणात्मक अथवा विचार –प्रधान हो सकती है ।
6.  ज्वलंत मुद्दों , समस्याओं , अवसरों, चरित्र पर आलेख लिखे जा सकते हैं ।
7.  आलेख गंभीर अध्ययन पर आधारित प्रमाणित रचना होती है ।
नमूना आलेख :-
शेर का घर जिम कार्बेट नेशनल पार्क
जंगली जीवों की विभिन्न प्रजातियों को संरक्षण देने तथा उनकी संख्या को बढाने के उद्देश्य से हिमालय की तराई से लगे उत्तराखंड के पौडी और नैनीताल जिले में भारतीय महाद्वीप के पहले राष्ट्रीय अभयारण्य की स्थापना प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक जिम कार्बेट के नाम पर की गई है । जिम कार्बेट नेशनलपार्क नैनीताल से एक सौ पंद्रह किलोमीटर और दिल्ली से दौ सौ नब्बे किलोमीटर दूर है । यह अभयारण्य पाँच सौ इक्कीस किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है । नवम्बर से जून के बीच यहाँघूमने फिरने का सर्वोत्तम समय है ।
यह अभायरण्य चार सौ से ग्यारहा सौ मीटर की ऊंचाई पर है । ढिकाला इस पार्क का प्रमुख मैदानी स्थल है और कांडा सबसे ऊंचा स्थान है । रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई हाथी का पसंदीदा घर है । यह एशिया का सबसे पहला संरक्षित जंगल है । रामगंगा नदी इसकी जीवन धारा है । यहां एक सौ दस तरह के पेड़ पौधे, पचास तरह के स्तनधारी जीव, पच्चीस प्रजातियों के सरीसृप और छहः सौ तरह के रंग बिरंगे पक्षी हैं। हिमालयन तेंदुआ, हिरण, भालू, जंगली कुत्ते, भेडिये, बंदर, लंगूर, जंगली भैंसे जानवरों से भरे यह जंगल आबाद है । हर वर्ष लाखों पर्यटक यहाँ आते हैं । शाल वृक्षओं से घिरे लम्बे लम्बे वन-पथ और हरे भरे घास के मैदान इसके प्राकृतिक सौंदर्य में चार चाँद लगाते हैं ।
इसके अतिरिक्त छात्र निम्न विषयों पर फीचर लिखने का अभ्यास कर सकते हैं ।
1.  बढती आबादी : देश की  बर्बादी
2.  सांप्रदायिक सद्भावना
3.  कर्ज में डूबा किसान
4.  आतंकवाद की समस्या
5.  डॉक्टर हड़ताल पर , मरीज परेशान
6.  वर्तमान शिक्षा प्रणाली
7.  बजट और बचत
8.  शक्ति ,संयम और साहस
9.  रिश्वत का रोग
10.सपना सच हो अपना
रिपोर्ट/ प्रतिवेदन लेखन एवं विशेषताएँ  (5 अंक)
सूचनाओं के तथ्यपरक आदान-प्रदान को रिपोर्ट या रिपोर्टिंग कहते हैं । प्रतिवेदन इसका हिंदी रूपांतरण है। रिपोर्ट किसी संस्था, आयोजन या कार्यक्रम की तथ्यात्मक जानकारी है ।
रिपोर्ट के गुण :-
·         तथ्यों की जानकारी स्पष्ट, सटीक और प्रामाणिक हो ।
·         संस्था/विभाग के नाम का उल्लेख हो ।
·         अध्यक्ष आदि पदाधिकारियों के नाम ।
·         गतिविधियाँ चलाने वालों के नाम ।
·         कार्यक्रम का उद्देश्य ।
·         आयोजन स्थल, दिनांक, दिन और समय ।
·          उपस्थित लोगों की जानकारी ।
·         दिए गए भाषणों के प्रमुख अंश ।
·         लिए गए निर्णयों की जानकारी ।
·         भाषा सरल, सुबोध, सूचनात्मक होनी चाहिए ।
·         सूचनाएँ अन्य पुरूष शैली में दी जाती है ।
·         संक्षिप्तता और क्रमिकता अनिवार्य गुण होना चाहिए ।
·         नई बात नए अनुच्छेद से लिखें ।
·         प्रतिवेदक या रिपोर्टर के हस्ताक्षर ।
निम्नलिखित विषयों पर रिपोर्ट लिखने का अभ्यास करें :-
1.  पूजा स्थलों पर दर्शनार्थियों की अनियंत्रित भीड ।
2.  देश में महंगी होती व्यावसायिक शिक्षा ।
3.  मतदान केंद्र का दृश्य ।
4.  आए दिन होती सड़क दुर्घटनाएँ ।
5.  आकस्मिक बाढ़ से हुई जनधन की क्षति ।
फीचर लेखन (5 अंक)
समकालीन घटना तथा किसी भी क्षेत्र विशेष की विशिष्ट जानकारी के सचित्र तथा मोहक विवरण को फीचर कहा जाता है। फीचर मनोरंजक ढंग से तथ्यों को प्रस्तुत करने की कला है। वस्तुतः फीचर मनोरंजन की उंगली थामकर जानकारी परोसता है। इस प्रकार मानवीय रूचि के विषयों के साथ सीमित समाचार जब चटपटा लेख बन जाता है तो वह फीचर कहलाता है। फीचर में ज्ञान+मनोरंजन का समावेश होता है जो पाठक को वर्तमान से भूत और भविष्य की तरफ ले जाने में सक्षम है ।
 फीचर और समाचार लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :-
1.  समाचार साधारण भाषा में, फीचर विशिष्ट शैली में लिखा जाता है ।
2.  एक समाचार हर एक पत्र में एक ही स्वरूप में रहता है जबकि फीचर अलग अलग पत्रों में अलग अलग प्रस्तुत होते हैं ।
3.  फीचर में अतिरिक्त साज सज्जा, तथ्यों और कल्पना का रोचक मिश्रण रहता है ।
4.  घटना के परिवेश, विविध प्रतिक्रियाएँ व उनके दूरगामी परिणाम भी फीचर में रहा करते हैं ।
5.  फीचर में जांनकारी और मनोरंजन रहता है , समाचार में जानकारी ही होती है
6.  फीचर में फोटो से अधिक संभावनाएँ होती हैं । जैसे
उदाहरण:-
“संगत का असर आता है, फिर चाहे आदमी हो या तोता । ब्रिटेन में एक तोते को अपने मालिक की संगत में शराब की ऐसी लत लगी कि उसने घर वालों और पडोसियों का जीना बेहाल कर दिया । जब तोते को सुधारने की सारी कोशिशें असफल हो गई तब मजबूरन मालिक को ही शराब छोडनी पड़ी । मार्क बेटोकियो ने अफ्रीकी प्रजाति का तोता मर्लिन पाला । मर्क यदा कदा शराब पी लेते । गिलास में बची शराब मर्लिन चट कर जाता । धीरे- धीरे मर्लिन की तलब बढ्ने लगी । वह वक्त बेवक्त शराब मांगने लगा...........................।

अभ्यास के लिए निम्न विषयों पर फीचर लिखें :-
·         चुनावी वायदे
·         महँगाई के बोझ तले मजदूर
·         वाहनों की बढती संख्या
·         किसान का एक दिन
·         क्रांति के स्वप्न दृष्टा : अब्दुल कलाम
·         क्रिकेट का नया संस्करण : ट्वेंटी ट्वेंटी
·         बेहतर संसाधन बन सकती है जनसंख्या ।





 (पद्य भाग-आरोह-2)
प्रश्न 7. दिए गए काव्यांश में से अर्थग्रहण संबंधी चार प्रश्न 2x4=8अंक
प्रश्न 8 दिए गए काव्यांश में से सौंदर्य बोध संबंधी तीन प्रश्न 2x3=6अंक
प्रश्न 9 दिए गए विषयवस्तु पर आधारित तीन प्रश्नों में से दो प्रश्न 3x2=6 अ
नोट:- इस समग्री में प्रत्येक पाठ के तीन स्तरों पर लघु प्रश्नोत्तर दिए गए हैं जिनका अत्यधिक विस्तार भी संभव है, अध्यापक छात्रों को उनकी योग्यता के आधार पर अभ्यास कराने का प्रयास करें ।
                   
                                                        1 कविता :-   आत्म परिचय  (हरिवंश राय बच्चन)
काव्य खंड पर आधारित दो प्रकार के प्रश्न पूछे जाएंगे- अर्थग्रहण संबंधी एवं सौंदर्य बोध संबंधी
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
                  मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूं,
                  फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूं,
                  कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर,
                  मैं सांसों के दो तार लिए फिरता हूं।
प्र1-कवि अपने ह्रदय में क्या क्या लिए फिरता हैं?
उ- कवि अपने सांसारिक अनुभवों के सुख-दुख हृदय में लिए फिरता हैं।
प्र2-कवि का जग से कैसा रिश्ता हैं?
उ- कवि का जग जीवन से खट्टा मीठा रिश्ता हैं।
प्र3-परिवेश का व्यक्ति से कया संबंध है? मैं सांसों के दो तार लिए फिरता हूं के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता हैं?
उ- संसार में रह कर संसार से निरपेक्षता संभव नही हैं क्योंकि परिवेश में रहकर ही व्यक्ति की पहचान बनती है। उसकी अस्मिता सुरक्षित रहती है।
प्र4-विरोधो के बीच कवि का जीवन किस प्रकार व्यतीत होता हैं?
उ-दुनिया के साथ संघर्ष पूर्ण रिश्ते चलते कवि का जीवन- विरोधों के बीच सामंजस्य करते हुए व्यतीत होता है।
सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न
                  मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूं,
                  मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूं,
                  जग पूछ रहा उनको जो जग की गाते,
                  मैं अपने मन का गान किया करता हूं
प्र1- कविता की इन पंक्तियों से अलंकार छांटकर लिखिए।
उ- स्नेह-सुरा – रूपक अलंकार
प्र2- कविता में प्रयुक्त मुहावरे लिखिए।
उ- जग पूछ रहा’.’जग की गाते’,’मन का गान आदि ।
प्र3- कविता में प्रयुक्त शैली का नाम लिखें।
उ- गीति-शैली ।
विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोतर
प्र1- कवि कौन- कौन सी स्थितियों में मस्त रहता है और क्यों?
उ- कवि सांसारिक सुख-दुख की दोनों परिस्थितियों में मग्न रहता हैं। उसके पास प्रेम की सांत्वनादायिनी अमूल्य निधि है।
प्र2 –कवि भव-सागर से तरने के लिए क्या उपाय अपना रहा हैं?
उ- संसार के कष्टों सहते हुए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कष्टों को सहना पडेगा। इसके लिए मनुष्य को हंसकर कष्ट सहना चाहिए।
प्र3- अपने मन का गान का क्या आशय है?
उ- संसार उन लोगों को आदर देता है जो उसकी बनाई लीक पर चलता है परंतु कवि केवल वही कार्य करता है जो उसके मन, बुद्धि व विवेक को अच्छा लगता है।
प्र4- नादान वही हैं हाय जहां पर दाना का क्या आशय है?
उ- जहां कही मनुष्य को विद्वता अहंकार है, वास्तव में वही नादानी का सबसे बडा लक्षण है।
प्र5- रोदन में राग कैसे संभव है?
उ-कवि की रचनाओं में व्यक्त पीडा वास्तव में उसके ह्रदय में मानव मात्र के प्रति व्याप्त प्रेम का ही सूचक है।
प्र6- मैं फूट पडा तुम कहते छंद बनाना का अर्थ स्पष्ट करो।
उ- कवि की श्रेष्ठ रचनाएं वास्तव में उसके मन की पीडा की ही अभिव्यक्ति है जिनकी सराहना संसार का श्रेष्ठ साहित्य कह कर किया करता है।
                  2.   कविता:- दिन जल्दी जल्दी ढलता है।
अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्न
                        “बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
                        नीडों से झांक रहे होंगे।
                      यह ध्यान परों में चिडिया के,
                        भरता कितनी चंचलता है
प्र1- पथ और रात से क्या तात्पर्य है?
उ- जीवन रुपी पथ में मृत्यु रूपी रात से सचेत रहने के लिए कहा गया है।
प्र2- पथिक के पैरों की गति किस प्रकार बढ जाती है ?
उ- मंजिल के पास होने का अहसास, व्यक्ति के मन में स्फूर्ति भर देता हैं।
प्र3- चिड़िया की चंचलता का क्या कारण है?
उ- चिड़िया के बच्चे उसकी प्रतिक्षा करते होंगे, यह विचार चिडिया के पंखों में गति भर कर चंचल बना देता है।
प्र4- प्रयासो में तेजी लाने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए?
उ-प्रयासो में तेजी लाने के लिए मनुष्य को जीवन में एक निश्चित मधुर लक्ष्य स्थापित करना चाहिए।
पाठ के आधार पर स्तरीय प्रश्नोंत्तर :-
स्तर-1
प्र.1 मैं जग जीवन का भार लिए......गान किया करता हूं’-- कविता व कवि का नाम बताएं।
उ. कविता का नाम = आत्म-परिचय
   कवि का नाम = हरिवंशराय बच्चन
प्र.2 नादान वही है, हाय जहां पर दाना’—पंक्ति का भाव स्पष्ट करें ।
उ. भाव है कि सृष्टि में जहां समझदार और विद्वान लोग रहते हैं वहीं नासमझ और मूर्ख लोग भी निवास करते है।
प्र,3 कवि किसका भार लिए फिरता है ?
उ. कवि जग जीवन का भार लिए फिरता हैं। वह भार दुख और दर्द के कारण अति दुःखदाई है।
प्र.4  कवि अपने घर क्यों नहीं लौटना चाहता ?
उ. कवि के घर में कोई भी इंतजार करने वाला नहीं है तथा ऐसा कोई विचार भी नहीं उठता जिससे वह रोमांचित हो सके।
स्तर:-2
प्र.1 अपने मन का गान करने से कवि का क्या अभिप्राय है ?

उ.कवि प्रेम रूपी मदिरा को पीने वाला है। इसी मदिरा  को पीकर मस्ती में डूबा रहता है केवल अपने मन के भाव भावों में मग्न रहता है।
प्र.2 कवि ने यह क्यों कहा होगा कि मैं स्नेह सुरा का पान किया करता हूं ?
उ. कवि अपने जीवन में केवल प्रेम का आनंद ही लेना और देना चाहता है।
प्र.3 कवि के ह्रदय के तारों को किसने झंकृत कर दिया होगा? उससे उसके जीवन पर क्या प्रभाव पडा?
उ. कवि की सांसो को उसके प्रेमी पात्रने ही छुआ होगा इससे उसके जीवन में आनंद ही आनंद  छाया रहता है।
प्र.4 कविता में चिडिया, पथिक का उदाहरण क्यों दिया गया है ।
उ.कवि ने चिडिया और पथिक का उदाहरण इसलिए दिया है क्योंकि समय परिवर्तनशील है और चिड़िया वा पथिक भी निरंतर प्रगति पर रहता है।
स्तर:-3
1.‘मैं जग जीवन का भार लिए.........गान किया करता हूं ‘—विचार करे।
उ. कवि संसार की बुरी दशा के लिए अति बेचेन होने के कारण भार लिए फिरता है ।
2.कवि ने यह क्यों-- मैं फूट पडा ,तुम कहते छंद बनाना
उ.कवि जब संसार की दयनीय स्थिति पर आंसू बहाता है तो दूसरे लोग इसका सही अर्थ नहीं समझ पाते और इसे महज एक दिखावा समझते है।
3.कवि संसार को क्या संदेश देना चाहता है ?
उ. कवि की मान्यता है कि यह संसार नश्वर और दुःखों का घर है। परोपकार के लिए जीना ही जीवन है।
4 दिन जल्दी जल्दी ढलता है --- का अर्थ स्पष्ट करें।
उ. समय किसी का इंतजार नहीं करता है जो समय को पहचान लेता है वह कभी भी असफल नहीं होता ।

                           2. ॥ पतंग ॥
                          आलोक धन्वा

सौंदर्यबोध संबंधी प्रश्न :-
जन्म से ही लाते हैं अपने साथ कपास,
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए,
ओर भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं,
छतों को ओर भी नरम बनाते हुए,
जब वे पेग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से अक्सर ॥
प्र1. जन्म से ही लाते हैं अपने साथ कपास’—इस पंक्ति की भाषा संबंधी विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर : नए प्रतीकों का प्रयोग (कपास-कोमल)
प्र2. इस पंक्ति में प्रयुक्त लाक्षणिक अर्थ को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : लाक्षणिकता : दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए संगीतमय वातावरण की सृष्टि।
प्र3. सुनहला सूरज प्रतीक का अर्थ बताएं ।
उत्तर : निडर, उत्साह से भर जाना ।
पाठ के आधार पर स्तरीय प्रश्नोत्तर :-

 स्तर:- 1
1. कविता में भादो का जो वर्णन मिलता है  उसका वर्णन अपने शब्दों मे कीजिए ।
उ. कविता में भादो वर्षा ऋतु का अंतिम महीना है। सवेरे का सूरज खरगोश की आंखों जैसा लाल दिखाया गया है।  प्रातकाल के मनोहारी वातावरण, मंद मंद समीर के प्रवाह सहित कई ग्रामीण झांकियां उभरती है।
2. कवि ने सवेरे के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया है ?
उ. लाल विशेषण का प्रयोग हुआ है।
3.बच्चों को पतंग उडाते हुए छतों के किनारों से कौन बचाता है ?
उ. उनके रोमांच का वेग।
स्तर:-2
1.पतंग के साथ बच्चों के उडने का क्या संबंध है ?
उ. क्योंकि जिस तरह से बच्चे आकाश में पतंग़ ऊडाते है उसी प्रकार उनकी कल्पनाएं भी आकाश में उडती है। 
2.शरद ऋतु का आगमन कैसे हुआ ?
उ.भादों के बाद रिमझिम फुहारों के साथ ।
3. दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है?
उ. बच्चे रोमांचित होकर ,निर्भय होकर खेलते हैं।
स्तर:-3
1.जन्म से ही वे अपने साथ लाते है कपास---कपास से बच्चों का क्या संबंध है ?
उ. जिस प्रकार कपास कोमल और मुलायम होती है उसी तरह से बच्चे भी जन्म के साथ ही कोमलता लेकर आते है।
2.कवि ने सवेरे की तुलना किससे की है और क्यों ?
उ. लाल गेंद से।
3.पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहें है---पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
उ. इसका अर्थ है कि बच्चे भी कल्पना करके आसमान में निरंतर उड रहे होते हैं।
                   
                    3.कविता के बहाने एवं बात सीधी थी पर
                                    कुवंर नारायण
·         काव्य सौंदर्य पर आधारित प्रश्न :-
कविता की उडान है चिड़िया के बहाने
कविता की ऊडान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर उस घर
कविता के पंख लगा उडने के माने
चिडिया क्या जाने ?
प्र.1 इस पंक्तियों की भाषा संबंधी विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर : इन पंक्तियों की भाषा संबंधी निम्नलिखित विशेषताएँ –
·       नए प्रतीक –चिडिया
·   मुहावरों का सटीक प्रयोग—सब घर एक कर देना , कवि की कल्पना की उर्वर शक्ति जिसका प्रयोग करने में कवि जमीन आसमान एक कर देता है ।
प्र.2 कविता की उडान –का लाक्षणिक अर्थ बताएं ।
उत्तर : काव्य की सूक्ष्म अर्थ निरूपण शक्ति, कवि की कल्पना का विस्तार ।
प्र.3 कविता के पंख किसका प्रतीक हैं?
उत्तर : कवि की कल्पना शक्ति का ।
पाठ के आधार पर स्तरीय प्रश्नोत्तर :-
स्तर-1
प्र. कविता और बच्चे को समानांतर रखने का क्या कारण हैं ?
उ. जिस प्रकार बच्चे के मन में किसी भी तरह का द्वंद्व नहीं होता वह सहज होता है ठीक उसी तरह से कविता भी सहज और सरल होती है।
2.प्र. भाषा को सहुलियत से बरतने का क्या अर्थ है ?
उ. भाषा को सहज ढंग से बोलना चाहिए ।
स्तर-2
.प्र. बिना मुरझाए महकने का क्या अर्थ है?
उ. कविता के अर्थ निरंतर नए और सरल होते चले जाते हैं।
2.प्र. बात और भाषा परस्पर जुडी होती है मगर कभी कभी भाषा के चक्कर में जरा टेढी हो जाती है कैसे?
उ. बात भाषा के चक्कर में पड कर अपना स्वरूप बदल लेती है। बात और भाषा के चक्कर में पडकर लोग अपनी भावना को मार बैठते है।
स्तर-3
प्र. उडने और खिलने से कविता का क्या संबंध है ?
उ. उडने का संबंध पक्षी से है जिस प्रकार पंछी उडान भरता है उसी प्रकार कवि भी कल्पना के  आकाश में उडान भरता है। इसी तरह खिलने का संबंध फूल के साथ है जिसमें कोई भेद भाव नहीं होता।
प्र. कविता के बहानेकविता के माध्यम से सब घर एक कर देने के माने का अर्थ बताएं।
उ. इसका अर्थ है कि बच्चे कभी भी किसी के साथ कोई भेद भाव नहीं करते ।
                               
4. कैमरे में बंद अपाहिज (रघुबीर सहाय)

कविता के अर्थ ग्रहण संबंधी प्रश्न :
हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लायेंगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे ,तो आप क्या अपाहिज हैं ?
तो आप क्यों अपाहिज हैं ।
1.   प्र.हम दूरदर्शन पर बोलेंगे हम सर्वशक्तिमान’—का निहित अर्थ स्पष्ट करें ।
उत्तर : इन पंक्तियों में अहं की ध्वनि अभिव्यक्ति है, पत्रकारिता का बढता वर्चस्व दिखाया गया है ।
2.   प्र. हम एक दुर्बल को लायेंगे –पंक्ति का व्यंग्यार्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : पत्रकारिता के क्षेत्र में करूणा का खोखला प्रदर्शन एक परिपाटी बन गई है ।
3.   प्र. क्या आप अपाहिज हैं? तो आप क्यों अपाहिज हैं –पंक्ति द्वारा कवि किस विशिष्ट अर्थ की अभिव्यक्ति करने में सफल हुआ है ?
उत्तर : पत्रकारिता में व्यवसयिकता के चलते संवेदनहीनता बढती जा रही है । यहां अपेक्षित उत्तर प्राप्त करने का अधैर्य व्यक्त हुआ है ।
स्तर:-1
.प्र. यदि शारीरिक रूप से कमजोर और दर्शक दोनो एक साथ रोने लगेंगे तो प्रश्नकर्ता का कौन सा उद्देश्य पूरा हो सकेगा?
उ. सभी को रूलाने का ।
.प्र. हम कैमरे के सामने अपाहिज से क्या प्रश्न पूछेंगे?
उ. क्या आप अपाहिज हैं?
   अपाहिज होना कष्ट तो देता होगा?
    अपाहिज होकर कैसे लगता है?
स्तर;- 2
प्र. “और ह्म एक दुर्बल को लायेंगे” पंक्ति के माध्यम से कवि क्या व्यंग्य करना चाहता है?
उ. मीडिया की संवेदनहीनता को उजागर करता है।
.प्र. यह अवसर खो देंगे ?’--- पंक्ति का अर्थ बताएं।
उ.दूरदर्शन पर आने का व अपना दुख सभी को जग जाहिरकरने का मौका पा सकेगा।
स्तर:-3
.प्र कैमरे में बंद अपाहिज कविता करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है स्पष्ट कीजिए।
 उत्तर : जी हाँ इस कविता में जिस तरह के शब्दों का प्रयोग हुआ है वह संवेदनहीनता का संजीदा उदाहरण ही है ।
  प्र. कैमरे पर किस चीज की कीमत है ? क्या कविता में वह चीज प्राप्त हुई ?
उत्तर : कैमरे पर वक्त की कीमत है । दूरदर्शन पर जिस संवेदनहीनता के दृश्य प्रस्तुत किए जाने की उत्कट इच्छा जाहिर की गई वह प्राप्त नहीं हुई ।

                     5- सहर्ष स्वीकारा है (गजानन माधव मुक्तिबोध)       
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
जिंदगी में जो कुछ भी हैं
सहर्ष स्वीकारा है;
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है,
वह तुम्हें प्यारा है।
गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब यह वैभव विचार सब,
दृढता यह, भीतर की सरिता यह अनुभव सब
मौलिक है,मौलिक है
इसलिए कि पल पल  में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है
संवेदन तुम्हारा है।
प्र1.- कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर- कवि- गजानन माधव मुक्तिबोध
      कविता- सहर्ष स्वीकारा है
प्र2- गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता आदि प्रयोगों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- गरबीली गरीबी- निर्धनता का स्वाभिमानी रूप। कवि के विचारों की मौलिकता, अनुभवों की गहराई, दृढता, ह्रदय का प्रेम उसके गर्व का कारण हैं।
प्र3- कवि अपने प्रिय को किस बात का श्रेय दे रहा है?
उत्तर- निजी जीवन के प्रेम का संबंल कवि को विश्व व्यापी प्रेम से जुडने की प्रेरणा देता है। अत: कवि इसका श्रेय अपने प्रिय को देता है।

सौंदर्य बोध ग्रहण संबंधी प्रश्न 
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उडेलता हूं, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, उपर तुम
मुस्काता चांद ज्यों धरती पर रात भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा हैं।
प्र1- कविता की भाषा संबंधी दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर- 1- सटीक प्रतिकों
     2- नए उपमानो का प्रयोग
प्र2- दिल में क्या झरना है? मीठे पानी का सोता है।– का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- दिल में क्या झरना है?- ह्रदय के अथाह प्रेम का परिचायक
     मीठे पानी का सोता है- अविरल, कभी समाप्त होने वाला प्रेम ।
प्र3- कविता में प्रयुक्त बिंब का उदाहरण लिखिए।
उत्तर- दृश्य बिंब- मुस्काता चांद ज्यों धरती पर रात भर। मुझ पर तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा।
स्तर : 1 
प्र. सहर्ष स्वीकारा है कविता में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
उ. कवि अपने प्रेमी पात्र को सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहता है। वह सुख दुख, संघर्ष-अवसाद, उठा पटक को स्मान रूप से स्वीकार करता है । प्रिय से बिछुडने के बाद भी स्मृतियों के सहारे विश्व चेतना का अहसास करता है ।
.प्र. कवि और कविता का नाम स्पष्ट कीजिए।
उ. कविता का नाम=सहर्ष स्वीकारा है, कवि= श्री गजानन माधव मुक्तिबोध्। 
 स्तर: -  2
.प्र. गरीबी को कवि ने गरबीली क्यों कहा है ?
उ. क्योंकि गरीबी ही कवि को जीवन की पहचान देती है।
प्र. कवि ने भीतर की सरिता किसे और क्यों कहा है ?
उ. कवि ने अपने भावों को सरिता की संज्ञा दी है। दिल का झरनाकवि के मौलिक विचारों का स्रोत है जो निरंतर उसके अभिव्यक्त करने के बाद भी निरंतर भर भर आता है
स्तर:- 3
1.प्र. बहलाती सहलाती आत्मीयता से कवि का क्या आशय है?
उ.अपने कोमल भावों के अहसास से है।
2.प्र. बहलाती सहलाती आत्मीयता बर्दाश्त नहीं होती है ....और कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है में आप कैसे अंतर्विरोध पाते है ?स्पष्ट कीजिए।
उ. कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है के अंतर्गत कवि की स्थिति स्पष्ट होती है वह अपनेसभी अनुभव व सुख दुख व अपने प्रेमी पात्र को इसलिए समर्पित करना  चाहता है क्योंकि प्रिय की आत्मीयता के कारण ही वह आगे बढ़ना चाहता है।
   6. उषा (शमशेर बहादुर सिहँ)
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :-
प्रातः नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा चौका
(अभी गीला पडा है)
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर
से कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खडिया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और.......
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है ।
प्र. उषा कविता में सूर्योदय के किस रूप को चित्रित किया गया है ?
उत्तर : कवि ने प्रातःकालीन परिवर्तनशील सौंदर्य का दृश्य बिम्ब मानवीय क्रियाकलापों के माध्यम से व्यक्त किया गया है ।
प्र. भोर के नभ और राख सी लीपे गए चौके में क्या समानता है ?
उत्तर : भोर के नभ और राख से लीपे हुए चौके में यह समानता है कि दोनों ही गहरे सलेटी रंग के हैं, पवित्र हैं। नमी से युक्त हैं ।
प्र. स्लेट पर लाल........पंक्ति का अर्थ बताएँ ।
उत्तर : भोर का नभ लालिमा से युक्त स्याही लिए हुए होता है । अतः लाल खडिया चाक से मली हुई स्लेट के समान प्रतीत होती हैं ।
प्र. उषा का जादू किसे कहा गया है ?
उत्तर: विविध रूप रंग बदलती सुबह व्यक्ति पर जादुई प्रभाव डालते हुए उसे मंत्र मुग्ध कर देती है ।
स्तर:- 1
.प्र.सूर्योदय से पहले आकाश में किस प्रकार के परिवर्तन होते है?
उ सूर्योदय से पहले आकाश अपना रूप रंग- बिरंगे रूप में बदलता  रहता है।
2.प्र. कविता व कवि का नाम बताएं।
उ. कवि का नाम= शमशेर सिहँ बहादुर, कविता का नाम= उषा
3.प्र प्रातःकाल का आकाश कैसा प्रतीत हो रहा था ?
उत्तर : राख से लीपे चौके जैसा, नीले शंख सा ।
स्तर : 2
.प्र. सूर्योदय से उषा का कौन सा जादू टूटता है?
उ  प्रातःकाल की सभी झांकियां परिवर्तित होने से जादू टूटता है।
.प्र. भोर के नभ को राख से लीपा चौका क्यों कहा गया है?
उ क्योंकि वह स्लेटी रंग का नजर आ रहा है।
3.प्र कवि ने भोर के नभ की क्या विशेषताएँ बताई हैं ?
उ. राख से लीपे चौके जैसा, नीले शंख जैसा।
स्तर :3
प्र. कवि ने किस शैली में कविता का वर्णन किया है ?
उत्तर : चित्रात्मक (बिम्बात्मक) शैली में ।
प्र कविता में आए अलंकारों का परिचय दें ।
उत्तर: काली सिल से लाल केसर – उपमा
     जैसे हिल रही हो – उत्प्रेक्षा अलंकार
 7.  बादल राग (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’)
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :-   
“ तिरती है समीर सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया
यह तेरी रणतरी
भरी आकांक्षाओं से ,
घन भेरी, गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, अशाओं से नवजीवन की, ऊंचा कर सिर,
ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल ।
फिर-फिर
बार बार गर्जन
वर्षण है मूसलाधार,
हृदय थाम लेता संसार ,
सुन सुन घोर वज्र हुंकार ।
अशनि पात से शापित शत शत वीर,
क्षत-विक्षत हत अचल शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धाधीर ।
प्र. कविता में बादल किसका प्रतीक है ?और क्यों ?
उत्तर : बादल क्रांति का प्रतीक है । इन दोनों के आगमन के उपरांत विश्व हरा-भरा, समृद्ध और स्वस्थ हो जाता है ।
प्र. सुख को अस्थिर क्यों कहा गया है ?
उत्तर : सुख सदैव बना नहीं रहत, अतः उसे अस्थिर कहा जाता है ।
प्र. विप्लवी बाद्ल की युद्ध रूपी नौका की क्या क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर : बादलों के अंदर आम आदमी की इच्छाएँ भरी हुई हैं जिस प्रकार युद्ध की नौका में हथियार भरे होते हैं । युद्ध की तरह बादलों के  आगमन पर रण भेरी बजती है । सामान्यजनों की आशाओं के अंकुर एक साथ फूट पडते हैं ।
प्र. बादल के बरसने का गरीब एवं अमीर पर क्या असर पडता है ?
उत्तर : बादल के बरसने से गरीब वर्ग आशा से भर जाता है एवं धनी वर्ग अपने विनाश की आशंका से भयभीत हो उठता है ।


सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न :
हँसते हैं छोटे पौधे लघु भार,
शस्य अपार ,
हिल-हिल,
खिल-खिल,
हाथ हिलाते ,
तुझे बुलाते।
विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते ॥
1.  निम्नलिखित प्रतीकों को स्पष्ट कीजिए : छोटे पौधे, सुप्त अंकुर ।
उत्तर : छोटे पौधे = शोषित वर्ग , सुप्त अंकुर= आशाएँ
2.  हँसते हैं छोटे पौधे का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : प्रसन्नचित निर्धन वर्ग जो क्रांति की संभावना मात्र से खिल उठता है ।
3.  छोटे ही हैं शोभा पाते में निहित लाक्षणिकता क्या है ?
उत्तर : बचपन में मनुष्य निश्चिंत होता है । निर्धन मनुष्य उस बच्चे के समान है जो क्रांति के समय भी निर्भय होता है और अंततः लाभांवित होता है ।
स्तर 1.
1.प्र.कवि किसका किस रूप में आवाह्न करता है ?
उ. बादल का क्रांति-दूत के रूप में।
2.प्र.बादल किसका प्रतीक है?
उ. क्रांति का।
3.प्र.बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?
उ. नए पल्लव फूटने लगते हैं। हरियाली छा जाती है।
स्तर 2
.प्र.पृथ्वी में सोये हुए अंकुर क्या सुन कर जागते हैं और किसके समान जागते हैं ?
उ. बादल की गर्जना सुन कर ,अंकुर की तरह ।
2.प्र.भारतीय किसान के जीवन का वर्णन करो।
उ. जमींदार ने शोषण कर लिया है, हाड मांस ही शेष रह गया है।
स्तर 3
.प्र.अस्थिर सुख पर दुःख की छायापंक्ति में दुख की छाया किसे कहा है ?
उ. दुख की छाया शोषण ,अत्याचार अन्याय को कहा गया है।
2.प्र. विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’—पंक्ति में छोटे किसे कहा गया है ?
उ. शोषित व निर्धन लोगों को।
3.प्र.कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहां कहां हुआ है,संबंधित वाक्यांश छांटिये।
उ. बादल=क्रांतिदूत, कीचड= अत्याचार, जल=क्रांति के रूप में उभरता है।
8. लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप (तुलसीदास)
अर्थग्रह्ण संबंधी प्रश्न :-
उहां राम लछिमनहि निहारी । बोले वचन मनुज अनुसारी ।
अर्ध राति गई कपि नहीं आयउ । राम उठाई अनुज उर लयउ ।
सकहु न दुखित देखि मोहि काऊ । बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ ।
मम हित लागि तजेहु पितु माता । सहेहु विपिन हिम आतप बाता ।
उतरु काह दैहंउ तेहि जाई । उठि किन मोहि सिखवनु भाई ।
1.  प्र. बोले वचन मनुज अनुसारी – का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर :भाई के शोक में विगलित राम का विलाप धीरे धीरे प्रलाप में बदल जाता है । जिससे लक्ष्मण के प्रति राम के अंतर में छिपे प्रेम के कई कोण सहसा अनावृत हो जाते हैं । यह प्रसंग इधर राम ने मानव सुलभ गुणों का समंवय कर देता है । वे मनुष्य की भांति विचलित होकर ऐसे वचन कहते हैं जो मानवीय प्रकृति को ही शोभा देते हैं  ।
2.  प्र. राम ने लक्षमण के किन गुणों का वर्णन किया है ?
उत्तर : * लक्षमण राम से बहुत स्नेह करता है ।
·         उन्होने  भाई के लिए अपने माता-पिता का भी त्याग कर दिया ।
·         वे वन में वर्षा,हिम, धूप आदि कष्टों का सहन कर रहे हैं ।
·         उनका स्वभाव बहुत मृदुल है ।वे भाई के दुख को नहीं देख सकते ।
3.  प्र. राम के अनुसार कौन सी वस्तुओं की हानि कोई हानि नहीं होती कहा है ?
उत्तर :राम के अनुसार धन, पुत्र, भवन, घर और परिवार की हानि कोई हानि नहीं होती इन्हे खो देने पर पुनः प्राप्त किया जा सकता ।
4.  प्र.पंख के बिना पक्षी और सूंड के बिना हाथी की क्या दशा होती है ?काव्य प्रसंग में इनका उल्लेख क्यों किया गया है ?
उत्तर : राम विलाप करते हुए अपनी भावी स्थिति का वर्णन कर रहे हैं कि जैसे पंख के बिना पक्षी और सूंड के बिना हाथी पीडित हो जाता है ,उनका अस्तित्व नग्नय हो जाता है वैसा ही असहनीय कष्ट राम को लक्ष्मण के न होने से होगा ।
स्तर 1
.प्र.कवितावली में तुलसी दास ने जिन सामाजिक बुराइयों का जिक्र किया है उनका वर्णन करें।
उ. समाज में धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय के कार्य हो रहे है। पेट भरने के लिए बेटा बेटी तक को बेच रहे है।
.प्र.भाई के वियोग में राम की जो दशा हुई उसे स्पष्ट करें।
उ. भाई के बिना राम बिना पंख के पक्षी, बिना मणी के नाग , बिना सूंड के हाथी की तरह महसूस करते है।
स्तर:-2
1.प्र. शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का अविर्भाव कहा गया है?
उ. जब राम विल्काप कर रहे थे तब भालू, वानर सभी दुखी महसूस कर रहे थे तभी हनुमान का उपस्थित होना सभी के लिए वीरता का संचार माध्यम बना।
2.प्र. मांगिकै खाइबो,मसित को सोईबो ,लेबौ को एकू न दौको न कऊ..पंक्ति में किस लोकोक्ति का प्रयोग किया गया है?
उ. इसमें कवि की निडरता व निर्भिकता के साथ साथ राम के प्रति अपार श्रद्धा का परिचायक है।
स्तर:-3
1काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें:-
               (क) जथा पंख बिनु खग अति दीना । मनी बिनु फनि करिबर कर हीना ॥
               (ख) अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड देव जियावै मोही॥
उ.*भाषा तत्सम प्रधान अवधी है ।*दोहा छंद है।*अनुप्रास , पद मैत्रीउदाहरण अलंकार है।*
2. दारिद दसासन दबाई दुनी दीन बंधु
                     दुरित दहन देखी तुलसी हहा करी----- काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उ. राम जी ही गरीबी के रावण को धराशाही कर सकते है।
3. कविता में तुलसी ने कौन सी भाषा प्रयोग की है ?
उ. अभिधात्मक शैली, अवधी भाषा ।
9. रूबाइयाँ (फिराक गोरखपुरी)
                            वो रूपवती मुखडे पे इक नरम दमक
बच्चे के घरोंदे में जलाती है दिए ।
रक्षा बंधन की सुबह रस की पुतली
बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे
भाई के हैं बाँधती चमकती राखी ।
प्र. माँ के चेहरे पर कैसा भाव आता है ?
उ. माँ के चेहरे पर खुशी का भाव आता है ।
प्र. माँ कहाँ दीया कहाँ जलाती है ?
उ. बच्चों के छोटे छोटे घरोंदों में ।
प्र. रस की पुतली कौन है ? उसे यह संज्ञा क्यों दी गई ?
उ. रस की पुतली राखी बाँधने वाली बहन है । भाई के प्रति अधिक स्नेह होने के कारण दिया है ।
स्तर:-1
.प्र..आंगन में कौन खडी है ? क्या लिए खडी है ?
उ. आंगन में मां खडी है। वह अपने हाथों में अपने चांद के टुकडे को लिए हुए है।
2.प्र. दीवाली पर लोग क्या करते हैं ?
उ. दीवाली पर लोग अपने घरों को सवारते, सजाते है।
स्तर:- 2
1.प्र. शायर राखी के लच्छे को बिजली की तरह चमक कह कर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है?
उ. रक्षाबंधन का पावन पर्व सावन में आता है। सावन में आकाश में घटाएं छाई और बिजलीचमकती रहती है। इस प्रकार सावन का जो संबंध झीनी घटा से है, घटा का जो संबंध बिजली से है वह संबंध भाई का बहन से है।
2.प्र. खुद का परदा खोलने से क्या आशय है ?
उ. स्वयं की कमजोरियों से पर्दा हटाना, अपनी बुराइयों अवगुणों से साक्षात्कारा कराना ।
स्तर:- 3
1.प्र. कवि किस्मत पर रोने की बात क्यों कहता है?
उ. लोग अपनी कर्महीनता को दोषा न देकर अपनी किस्मत को दोष देते रहते है।
     “नहला के छलके छलके निर्मल जल से
   उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
   किस प्यार से देखता है बच्चा मुहं को
   जब कुहनियों में लेके पहनाती है कपडे
2.उपरोक्त पंक्तियों में किस रस की अभिव्यक्ति हुई है ?
उ.श्रृंगार व वात्सल्य रस का चित्रण हुआ है।
3. पंक्तियों में किस शब्द शक्ति का प्रयोग किया गया है?
उ. अभिधा शब्द शक्ति का प्रयोग हुआ है।
4. पंक्तियों में किस तरह की है?
उ. छंद बद्ध
5. पंक्तियों में किस गुण का प्रयोग किया गया है?
उ.प्रसाद गुण
6. पंक्तियों में छलके-छलके शब्दों में कौन सा अलंकार है?
उ. पुनरूक्ति
 10. छोटा मेरा खेत व बगुलों के पंख (उमा शंकर जोशी)
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :-
छोटा मेरा खेत चौकोना,
कागज का एक पन्ना,
कोई अंधड कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया ।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष, शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष ।
1.  छोटा मेरा खेत किसका प्रतीक है ?
उत्तर : कागज के पन्ने का जिस पर कवि कविता करता है ।
2.  कवि खेत मे कौन सा बीज बोता है ?
उतर: कवि खेत में कल्पना का बीज बोता है ।
3.  कवि की कल्पना से कौन से पल्लव अंकुरित होते हैं ?
उत्तर : कवि की कल्पना से शब्द के पल्लव अंकुरित होते हैं ।
स्तर:-1
1.प्र.कवि ने अपने खेत में कौन सा बीज बोया है ?
उ. कवि ने अपने खेत में शब्द रूपी बीज बोया है।
2.प्र.संपूर्ण कृति का रूप कौन लेता है ?
उ. कवि के भाव शब्दों का रूप लेकर एक संपूर्ण कृति का रूप लिया था ।
स्तर:-2
1.प्र.कौन सा बीज गल कर नष्ट हो गया है?
उ. भाव रूपी बीज गल कर नष्ट हो गया है।
2.प्र. कवि का खेत अनूठा है ?कैसे
उ. रोपाई क्षण भर और कटाई लम्बे समय तक चलती रहती है
3.प्र. कवि को अपनी माया से कौन बांध रहा है?
उ.कजरारे बाद्ल और तैरती हुई शाम का तेजाबी सफेद काव्य माया में बांध रहा है।
स्तर:-3
1.प्र.छोटे चौकोने खेत को कागज का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है ?
उ. जिस प्रकार कागज का पन्ना चौकोर होता है उसी प्रकार छोटा खेत भी चौकोर होता है। जिस प्रकार खेत में बीज बोया जाता है ठीक उसी प्रकार कागज के पन्ने पर कोई कल्पना के सहारे कवि द्वारा अभिव्यक्ति रूपी बीज बोया जाता है।
2.1प्र. रचना के संदर्भ में अंधड और बीज क्या है ?
उ. अंधड भावनात्मक आंधी का तथा बीज रचना विचार और अभिव्यक्ति प्रतीत होती है।




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